डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत के लक्ष्य से पीछे सरकार
| पीएम नरेंद्र मोदी की दो महत्वाकांक्षी योजनाएं लड़खड़ाती दिख रही हैं। देश को डिजिटली कनेक्ट करने के लिए आई-वेज बनाने का प्लान बना था। इसके तहत 2014-15 में सरकार ने 50,000 गांवों को नैशनल ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क से जोड़ने का जो टारगेट तय किया था, उसका 12% काम ही जनवरी के अंत तक पूरा हो सका। वहीं, पीएम के ड्रीम प्रॉजेक्ट स्वच्छ भारत अभियान के तहत इस फाइनैंशल इयर में 1.2 करोड़ टॉइलट्स बनाने का टारगेट भी पूरा होना मुश्किल है। पिछले सोमवार को नीति आयोग के अधिकारियों ने इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लक्ष्य पूरे होने की स्थिति के बारे में पीएम को जानकारी दी थी। केरल का इडुक्की ऐसा पहला जिला बना है, जहां की ग्राम पंचायतों को पूरी तरह नैशनल ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क यानी एनओएफएन से जोड़ दिया गया है। पीएम को बताया गया कि 6,000 ग्राम पंचायत क्षेत्रों में ऑप्टिक फाइबर केबल्स बिछा दी गई हैं। एनओएफएन से जुड़े कामकाज के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी बनाई गई है, हालांकि इस फाइनैंशल इयर के बाकी वक्त में 50,000 ग्राम पंचायतों को जोड़ने का लक्ष्य मुश्किल दिख रहा है। उधर, स्वच्छ भारत अभियान के तहत जनवरी में 7.1 लाख घरों में टॉइलट बने। यह अक्टूबर में इस प्रॉजेक्ट के लॉन्च होने के बाद किसी भी महीने का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2014 से जनवरी 2015 के बीच 31.83 लाख टॉइलट बनाए गए। यह 2014-15 के टारगेट का 25.4% है। इस प्रोग्राम के तहत अगले पांच वर्षों में करीब 2 लाख करोड़ रुपये से 12 करोड़ टॉइलट्स बनाए जाने हैं। एक सीनियर गवर्नमेंट ऑफिशल ने हालांकि ईटी को बताया कि इस साल के लिए ‘इंटरनल टारगेट’ 50 लाख का है और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय इसे हासिल करने की कोशिश में है। अधिकारी ने कहा, ‘वेबसाइट पर दिए गए टारगेट राज्यों पर और तेज काम करने का दबाव बनाने के लिए रखे गए हैं। हालांकि हमें विश्वास है कि पुराने निर्मल भारत अभियान के तहत 50 लाख घरों में इस साल टॉइलट बनाने का इंटरनल टारगेट हम हासिल कर लेंगे।’ निर्मल भारत अभियान इससे पहले की यूपीए सरकार ने शुरू किया था।