इलाहाबाद हाई कोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर पर रोक से किया इनकार

इलाहाबाद
काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर और गंगा पाथवे योजना के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद योजना को पूरी तरह से लागू करने का रास्ता साफ हो गया है। यह फैसला चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंण्डपीठ ने सुनाया है। याचिका पर अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह ने सरकार और मंदिर प्रशासन का पक्ष रखा।

सुनील कुमार सिंह द्वारा दायर याचिका में विश्वनाथ मंदिर के सीईओ विशाल सिंह को हटाने, कॉरिडोर योजना का ब्लू प्रिंट जारी करने, 1500 करोड़ की योजना के तहत पुराने भवनों के ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने, वाराणसी का मूल स्वरूप कायम रखने और आसपास के निवासियों को बेदखल न करने सहित कई मांगें की गईं थीं। कोर्ट ने विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर योजना को जनहित में मानते हुए कहा कि विकास योजनाएं नहीं रोकी जा सकतीं।

कोर्ट ने याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की उस दलील को मानने से इनकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर और गंगा पाथवे परियोजनाओं से काशी के मूल स्वरूप में बदलाव होगा। इससे पहले हाई कोर्ट ने सुंदरीकरण और जनसुविधाएं बढ़ाने के लिए खरीदे गए भवनों के ध्वस्तीकरण पर रोक की मांग को लेकर दाखिल कमला देवी की याचिका को खारिज कर दिया था।

बता दें कि विश्वनाथ मंदिर परिसर के आसपास के कई मकान राज्यपाल के नाम से मंदिर के सीईओ ने सुंदरीकरण और जनसुविधाएं बढ़ाने के लिए खरीद लिए हैं, जिनके ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की जा रही है। इन मकानों में वर्षों से रह रहे किराएदारों, दुकानदारों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी।

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