अनिरुद्ध चौधरी ने एडुल्जी को एक मुश्त लाभार्थ भुगतान देने पर उठाए सवाल
|भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी ने प्रशासकों की समिति (सीओए) की सदस्य डायना एडुल्जी को एक मुश्त लाभार्थ भुगतान देने को हितों का टकराव बताते हुए इस पर सवाल उठाया है। एडुल्जी के साथ 70 के दशक में एक टेस्ट मैच खेलने वाली उनकी बहन बेहरोज को भी एक मुश्त लाभार्थ भुगतान का फायदा मिला है। सीओए के पास प्रशासनिक जिम्मेदारी आने के बाद पूर्व खिलाड़ियों का एक बार लाभार्थ भुगतान देने का फैसला किया गया था।
बीसीसीआई में कई अधिकारी दबी जुबां से इसका विरोध कर रहे थे, लेकिन कोषाध्यक्ष के पत्र से यह सबके के सामने आ गया। चौधरी को सीओए और मुख्य कार्यकारी अधिकारी राहुल जौहरी का विरोधी माना जाता है। चौधरी ने इस मामले में प्रशासकों की समिति को पत्र लिखा है। चौधरी के पत्र से यह भी साफ हो गया कि बीसीसीआई के खातों के लेखा-जोखा पर विरोध के बाद उन्होंने हस्ताक्षर किए, क्योंकि कथित तौर पर उनसे कोषाध्यक्ष की शक्तियां वापस ले ली गई है।
उन्हें बोर्ड के विभिन्न भुगतानों के बारे में भी नहीं बताया गया हैं। उन्होंने उस बात पर भी सवाल उठाया, जिसमें आमसभा की विशेष बैठक (एसजीएम) के बाद सुधार के बिना एक मुश्त लाभार्थ भुगतान दिए गए। उन्होंने इसे हितों के टकराव का कथित मामला बताया, क्योंकि एडुल्जी सीओए की सदस्य हैं और इसका फायदा उन्हें और उनकी बहन को मिला है। उन्होंने यह भी लिखा, ‘यह बताना जरूरी है कि सीओए ने महिला क्रिकेटरों को एक बार लाभार्थ भुगतान देने का फैसला किया है, लेकिन एडुल्जी, सीओए की सदस्य हैं और इस फैसले से उनकी बहन को फायदा हुआ है।’
एडुल्जी के बचाव में यह कहा गया था कि जब इस मुद्दे पर फैसला किया जा रहा था तब एडुल्जी ने खुद को बैठक से अलग कर लिया था। बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अगर हम इस बात को मान भी ले की उन्होंने खुद को बैठक से अलग कर लिया था, क्या कोई यह मानेगा कि उन्हें ऐसे फैसले के बारे में जानकरी नहीं जिसका सीधा फायदा उनकी बहन को हुआ।’
उन्होंने यह भी कहा, ‘अगर एडुल्जी सीओए की सदस्य बनी रहती हैं तो ऐसे में रोजर बिन्नी को राष्ट्रीय चयनकर्ता पैनल से उस वक्त क्यों हटाया गया था जब उनके बेटे स्टुअर्ट भारतीय टीम में दावेदारी कर रहे थे। सब को पता था कि स्टुअर्ट के नाम पर चर्चा के समय रोजर कमरे से बाहर चले जाते थे, लेकिन लोढा पैनल की सिफारिशों के कारण वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।’
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