क्रिकेट को तबाह न कर दें बीसीसीआई में सख्त सुधार: शरद पवार
|वरिष्ठ राजनीतिज्ञ, खेल प्रशासक एवं आईसीसी और बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष शरद पवार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि भारत में क्रिकेट का संचालन करने वाली बॉडी बीसीसीआई में हो रहे कठोर सुधार कहीं क्रिकेट को तबाह न कर दें। शरद पवार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासनिक समिति पर यह भी आरोप लगयाा कि उसने लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों से भी बहुत ज्यादा आगे बढ़कर बीसीसीआई के संविधान का ड्राफ्ट तैयार किया है।
पवार ने क्रिकेट में दिए अपने योगदान का उल्लेख करते हुए कहा, ‘देश में क्रिकेट प्रशासन के विकास और उसके उपयुक्त संचालन में उम्रदराज प्रशासकों का भी उल्लेखनीय योगदान रहा है। वह भी उन लोगों में एक हैं, जिन्होंने बोर्ड को शुरुआत से यहां तक विकसित होते हुए देखा।’ पवार ने बताया, ‘उनके ही नेतृत्व में बोर्ड ने पहली बार पूर्व खिलाड़ियों के लिए पेंशन स्कीम लागू की थी और महिला क्रिकेट को भी बीसीसीआई के अंडर लाया गया था।’ पवार ने यह भी बताया कि उनके ही कार्यकाल में दुनिया के सबसे सफल क्रिकेट टूर्नमेंट आईपीएल की रूप-रेखा तैयार की गई और इसे अमली जामा पहनाया गया।
बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष पवार ने अपना यह आवदेन पत्र ऐडवोकेट नीला गोखले और ऐडवोकेट कमाक्षी मेहलवाल के जरिए कोर्ट को सौंपा, इसमें आगे कहा गया है, ‘आज बीसीसीआई इन चुनौतियों में सिर्फ इसलिए घिर गया है क्योंकि वह दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बन गया है। आज बीसीसीआई के बारे में यह धारणा बन गई है कि यह बिना पारदर्शिता के काम करता है। भाई-भतीजावाद और हितों के टकराव (एन. श्रीनिवासन और गुरुनाथ मैयप्पन केस) के कुछ आरोपों ने इस धारणा को और बल दिया है।’
पवार ने आगे कहा, ‘इन टकरावों से बचने के लिए कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासनिक कमिटी (CoA) ने बोर्ड का संविधान ड्राफ्ट करने में लोढ़ा पैनल की उन सिफारिशों की हद को भी पार कर लिया, जिसे बीते साल 18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार किया था।’ एक राज्य एक वोट पर तर्क करते हुए एनसीपी के मुखिया ने कहा, ‘इस सिफारिश को मान लेना कि एक राज्य में केवल एक ही असोसिएशन होगी यह असोसिएशन बनाने के अधिकार का उल्लंघन होगा।’
मुंबई क्रिकेट असोसिएशन (एमसीए) का हवाला देते हुए पवार ने कहा, ‘एमसीए का क्रिकेट में उल्लेखनीय योगदान रहा है। उसने (एमसीए) देश को कई नामचीन खिलाड़ी भी दिए हैं और बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर भी मुहैया कराया है। वहीं एक राज्य एक वोट के नाम पर एमसीए से वोटिंग का अधिकार छीन लेने से बोर्ड के संचालन के लिए सही नहीं होगा।’
उन्होंने कहा, ‘असोसिएशन बनाने का अधिकार मौलिक अधिकार है, जिसकी अनुच्छेद 19 (1) (C) गारंटी देता है।’ पवार ने कहा प्रशासनिक समिति द्वारा तैयार संवैधानिक ड्राफ्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकृत लोढ़ा पैनल की सिफारिशों में इस नियम एक-दूसरे में विरोधाभास है। अगर लोढ़ा पैनल की सिफारिशें मान ली जाती हैं, तो फिर असोसिएशनों पर इस तरह की रोक लगाना संभव नहीं है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा लोढ़ा पैनल की सिफारिशें मानने के बाद शरद पवार ने एमसीए के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों में 70 साल से अधिक उम्र के प्रशासकों की नियुक्ती पर रोक थी। इसी कारण शरद पवार ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया था।
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