तेल बचाने का कोर्स करने वालों को ही मिलेगा ड्राइविंग लाइसेंस, सरकार ला सकती है नया नियम
|ड्राइविंग लाइसेंस देने के मामले में सरकार नए नियम लागू करने पर विचार कर रही है। आने वाले समय में उन्हीं लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस मिलेगा या लाइसेंस रिन्यू होगा, जिन्होंने तेल बचत करने का कोर्स किया हो और इसका सर्टिफिकेट प्राप्त किया हो। ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने के लिए पेट्रोलियम संरक्षण एवं रिसर्च ऐनालिसिस (पीसीआरए) का पेट्रोलियम उत्पादों के बचत का कोर्स करना जरूरी होगा। यानी लाइसेंस लेने पर पहले तेल बचाने के तरीकों को भी सीखना होगा।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने यह प्रस्ताव पीएमओ को भेजा है। सूत्रों के अनुसार इस पर सैद्धांतिक रूप से सहमति बन चुकी है। इसके अलावा कोर्स की अवधि और फीस भी तय करने पर अंतिम विचार-विमर्श जारी । इस बारे में बातचीत कर अंतिम फैसला लिया जाएगा। हालांकि पेट्रोलियम मंत्रालय का कहना है कि इसमें फीस मामूली होगी।
पेट्रोलियम मंत्रालय के उच्चाधिकारियों का कहना है कि हम चाहते हैं कि यह नियम 1 अप्रैल -2018 से लागू हो। वैसे भी पीसीआरए लोगों को पेट्रोलियम उत्पाद बचाने के टिप्स दे रहा है। हम चाहते हैं कि अगले वित्त वर्ष से लाइसेंस लेने से पहले पेट्रोलियम संरक्षण का कोर्स करना अनिवार्य हो जाए। कोर्स करने के बाद एक सर्टिफिकेट दिया जाए, जिसे जमा करने के बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस दिए जाए। पीसीआरए किसानों को पराली जलाने के खतरों पर भी सावधान कर रहा है ताकि प्रदूषण की समस्या से छुटकारा मिल सके।
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दरअसल इंटरनैशनल मार्केट में कच्चे तेल की तेजी से बढ़ती कीमतों ने सरकार को परेशानी में डाल दिया है। ग्राहकों को राहत देने के लिए वैट और एक्साइज ड्यूटी में कटौती हो रही है। ऐसे में सरकार को लग रहा है कि कुछ इस तरह का अभियान शुरू किया जाए, जिससे लोगों में तेल की बचत को लेकर जागरूकता बढ़े। पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि देश की सड़कों पर रेड लाइट काफी हैं। रेड लाइट पर कई वाहन चालक गाड़ी काे बंद नहीं करते हैं। पांच मिनट तक गाड़ी खड़ी रहती है आैर इससे तेल की खपत बढ़ती है। हम चाहते हैं कि जो लोग गाड़ी चलाते हैं, उनको इस बात की जानकारी हो कि किस तरह से गाड़ी चलाने में तेल की कम खपत होगी आैर तेल की ज्यादा बचत होगी।
पीसीआरए अपने सर्टिफिकेट कोर्स में तेल बचाने के तरीके बताएंगा आैर टिप्स देगा। इसके जरिए गाड़ी चलाते समय लोग तेल की बचत कर सकेंगे। इससे देश को भी फायदा होगा और कच्चे तेल का इंपोर्ट कम होगा।
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