नोटबंदी से पहले के स्तर पर पहुंची ATM से नकद निकासी
|नोटबंदी के इतने महीने बाद भी इन दिनों एटीएम में ‘कैश नहीं है’ का साइनबोर्ड क्यों लगा है? क्या इस सवाल ने आपको परेशान कर रखा है? दरअसल, एटीएम से कैश विदड्रॉल नोटबंदी के पहले वाले लेवल पर पहुंच गया है, जबकि सप्लाई उसकी आधी है। इस वजह से कस्टमर्स को परेशानी हो रही है और एटीएम ऑपरेटरों को करीब 700 करोड़ रुपये की आमदनी से हाथ धोना पड़ा है। इंटरबैंक एटीएम विदड्रॉल से भी कैश की मांग बढ़ने का संकेत मिलता है, जो मार्च में 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया।
यह पिछले साल अक्टूबर जितना है, जबकि नोटबंदी का ऐलान 8 नवंबर को हुआ था। यह जानकारी नैशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के डेटा से मिली है। पिछले साल दिसंबर में इंटरबैंक एटीएम विदड्रॉल 50,000 करोड़ रुपये था। इस बारे में हिताची पेमेंट सर्विसेज के मैनेजिंग डायरेक्टर एल एंटनी ने बताया, ‘एटीएम विदड्रॉल पर पाबंदी हटने के बाद से एवरेज ट्रांजैक्शन बढ़कर 4,000 रुपये हो गई है, जो नोटबंदी के पहले वाले लेवल के बराबर है। पिछले साल नवंबर से इस साल फरवरी के बीच एवरेज ट्रांजैक्शन 2,000 रुपये की थी।’
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हिताची पेमेंट सर्विसेज देश में 50,000 एटीएम मैनेज करती है। एंटनी ने बताया, ‘जहां डिमांड बढ़ गई है, वहीं हम बैंकों से जितना कैश मांग रहे हैं, उसका आधा ही मिल रहा है। इसलिए कई एटीएम में नकदी नहीं है।’ नोटबंदी के शुरुआती दिनों के मुकाबले कैश की कमी काफी हद तक दूर हो गई थी, लेकिन पिछले कुछ हफ्तों से फिर से यह प्रॉब्लम दिख रही है। बैंकों के डिजिटल पेमेंट्स के लिए फीस वसूलने की खबरों के बाद लोग फिर से कैश पेमेंट की ओर शिफ्ट हो रहे हैं।
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वहीं, रिजर्व बैंक ने बैंकों को ब्रांच और एटीएम के बीच बेहतर कैश मैनेजमेंट का भी संकेत दिया है। पिछले साल अक्टूबर में एटीएम से इंटर-ऑपरेबल कैश विदड्रॉल 1.1 लाख करोड़ रुपये था। 30 करोड़ ट्रांजैक्शंस में इतनी रकम निकाली गई थी। वहीं, दिसंबर, 2016 में यह रकम 48,420 करोड़ रुपये थी, जो जनवरी में बढ़कर 85,480 करोड़ रुपये हो गई थी। जब एक बैंक का कोई कस्टमर अपना कार्ड दूसरे बैंक के एटीएम में स्वाइप करता है तो ट्रांजैक्शन नैशनल फाइनेंशियल स्विच या एनएफएस के जरिये होती है, जिसे एनपीसीआई मैनेज करती है।
एनपीसीआई के डेटा से पता चलता है कि दिसंबर की तुलना में मार्च में इस तरह से दोगुनी रकम निकाली गई। कैश की कमी भले ही है, लेकिन यह देश के सभी इलाकों में एक जैसी नहीं है। कुछ क्षेत्रों में कैश की कमी ज्यादा दिख रही है। एक कैश लॉजिस्टिक्स कंपनी के टॉप एग्जिक्यूटिव ने बताया, ‘एटीएम से अधिक कैश निकाले जाने, बैंकों की तरफ से कैश की कम सप्लाई से ऐसी स्थिति बनी है और हैदराबाद, पुणे, मुंबई और सूरत में नकदी की काफी कमी है।’
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