‘भगोड़े’ विजय माल्या के प्रत्यर्पण की राह इसलिए है मुश्किल

नई दिल्ली
भारत के भगोड़े कारोबारी विजय माल्या की लंदन में गिरफ्तारी की खबर आई तो लोगों को लगा कि अब अगला कदम उसका जल्द प्रत्यर्पण ही होगा। हालांकि माल्या ने अपनी प्रतिक्रिया में इसे रूटीन कार्रवाई बताया। ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि माल्या को भारत लाए जाने की भारत सरकार की कोशिशों में कितना दम है और क्या वाकई ब्रिटेन माल्या के प्रत्यर्पण में भारत का सहयोग करेगा। मौजूदा हालात और ब्रिटेन के संबंधित कानून के हिसाब से इसकी संभावना काफी कम नजर आती है। आइये आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों माना जा रहा है:

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सिर्फ एक कूटनीतिक खेल
पिछले महीने विदेश मंत्रालय के तत्कालीन प्रवक्ता विकास स्वरूप के बयान से यह साफ था कि माल्या के प्रत्यर्पण की कोई गारंटी नहीं दी जा सकती। स्वरूप ने जोर देकर कहा था कि भारत के पास विजय माल्या के खिलाफ एक ‘कानूनी’ मामला है और अगर ब्रिटेन भारत की प्रत्यर्पण का अर्जी को स्वीकार करता है, तो इससे भारत की चिंताओं के प्रति ब्रिटेन की संवेदनशीलता का पता चलेगा। भारत यह भी कह चुका है कि माल्या का केस भारत-ब्रिटेन संबंधों की परीक्षा है। इन तमाम बातों को देखते हुए यह माना जा सकता है कि माल्या का प्रत्यर्पण नियम-कायदों की प्रक्रिया के पालन से ज्यादा सिर्फ एक कूटनीतिक खेल है।

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ब्रिटेन के पास पहले से पेंडिंग कई प्रत्यर्पण के मामले
भारत के दस भगोड़े अपराधियों के प्रत्यर्पण के अर्जी ब्रिटेन के पास पहले से लंबित है। पिछले महीने राज्यसभा में दिए गए एक लिखित जवाब में विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने कहा था कि पिछले पांच सालों में ब्रिटेन से सिर्फ एक भगोड़े अपराधी समीरभाई वीनूभाई पटेल का प्रत्यर्पण हो पाया है। बाकी मामले अभी तक ठंडे बस्ते में है।

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कई प्रत्यर्पण की अर्जियां ठुकरा चुका है ब्रिटेन
ब्रिटेन अभी तक प्रत्यर्पण से संबंधित भारत की कई अर्जियां खारिज कर चुका है। विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह के मुताबिक भगोड़े अपराधी रेमंड वर्ले, रवि शंकरन, वेलू बूपालन, अजय प्रसाद खेतान, वीरेंद्र कुमार रस्तोगी और आनंद कुमार जैन के प्रत्यर्पण की अर्जी ब्रिटेन ठुकरा चुका है।

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इसलिए माल्या का प्रत्यर्पण नहीं करेगा ब्रिटेन?

1. प्रत्यर्पण के मामलों में ब्रिटेन ने भारत को कैटिगरी 2 देशों में रखा है। ऐसे देशों के लिए अपराधियों के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया बहुत लंबी और मुश्किल होती है, जबकि कैटिगरी 1 में शामिल देशों को इस मामले में तरजीह दी जाती है। इन देशों में अमेरिका और यूरोप के देश शामिल हैं।

2. अगर ब्रिटेन माल्या का प्रत्यर्पण करता है, तो उसे लंबित पड़े दूसरे मामलों पर भी कार्रवाई करनी होगी।

3. माल्या यह दावा कर सकते हैं कि उन्हें राजनीतिक बदले की कार्रवाई के तहत फंसाया जा रहा है। इस बात को आधार बना कर वह अपने प्रत्यर्पण पर रोक लगवा सकते हैं। उन्हें गिरफ्तारी के बाद जमानत मिल ही चुकी है। अब वह ब्रिटेन में आर्थिक निवेश कर के ब्रिटिश पासपोर्ट के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

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