भैंस की मौत के 9 साल बाद मिलेगी इंश्योरेंस की रकम
|एक बेहद दिलचस्प मामले में कानपुर के कन्ज्यूमर फोरम ने एक भैंस की मौत के करीब 9 साल बाद उसके मालिक को इंश्योरेंस के 15 हजार रुपये, 8 पर्सेंट सालाना ब्याज और बाकी खर्चों के लिए 5 हजार रुपये देने का आदेश दिया है। फोरम ने यह फैसला गुरुवार को सुनाया। इंश्योरेंस कंपनी ने फोरम को दलील दी थी कि उसने भैंस का इंश्योरेंस नहीं किया है, लेकिन शिकायतकर्ता ने बीमा का बात साबित कर दी।
कानपुर के चौबेपुर के पचोर गांव के दयाराम ने 2008 में एक भैंस खरीदी थी। इसके लिए उसने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से 15 हजार रुपये का लोन लिया था। भैंस खरीदकर न्यू इंडिया इंश्योरेंस की गुमटी ब्रांच से इसका बीमा करवाया गया। करीब एक साल बाद बीमारी से भैंस की मौत हो गई। कंपनी ने सर्वे भी कराया, लेकिन बीमा की रकम देने से मना कर दिया। कन्ज्यूमर फोरम में इंश्योरेंस कंपनी ने कहा कि दयाराम यह साबित नहीं कर सके कि भैंस कहां से खरीदी गई। इसकी कोई रसीद नहीं है।
कंपनी को भैंस के कान का जो टैग लौटाया गया है, उसकी मोटी डंडी के सुराख में स्किन और बाल भरे हुए थे। यह टैग बीमा के समय पहनाया जाता है और लंबे समय के कारण स्किन और बाल सूखकर गिर जाते हैं। भैंस के फोटो में भी कहीं ईयरटैग नहीं है। जवाब में दयाराम की दलीलों को सुन फोरम ने फैसला दिया कि दयाराम ने कंपनी के एजेंट से ही इंश्योरेंस कराया।
सर्वेयर को भी मौके पर भैंस मरी मिली। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी मौत की वजह बीमारी बताई गई। कागजों से साबित होता है कि कंपनी ने भैंस का इंश्योरेंस किया था। इसलिए न्यू इंडिया इंश्योरेंस दयाराम को बीमा के 15 हजार, इस रकम पर 8 पर्सेंट ब्याज और मुकदमा खर्च के 5 हजार रुपये चुकाए।
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