मोबाइल टॉवर की मांग को लेकर दिल्ली पहुंचे UK कांग्रेस के नेता, कैशलेस इकॉनमी पर उठाए सवाल

पूनम पाण्डे, नई दिल्ली
नोटबंदी और पीएम मोदी के कैशलेस इकॉनमी के सपने के जरिए उत्तराखंड(UK) में बीजेपी को घेरने के लिए उत्तराखंड के कांग्रेस नेता दिल्ली के जंतर-मंतर तक पहुंच गए हैं। उनकी शिकायत है कि उत्तराखंड के कई पहाड़ी इलाकों में मोबाइल नेटवर्क नहीं आता है। यहां तक कि उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत के विधानसभा क्षेत्र तक में भारतीय नेटवर्क के सिग्नल नहीं मिलते हैं। रावत के इलाके के पूर्व विधायक हरीश धामी सहित कई कांग्रेस नेता उत्तराखंड में मोबाइल टॉवर्स की संख्या बढ़ाने की मांग को लेकर बीजेपी को घेरने के लिए जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठ गए हैं।

नेपाल के सिम से डिजिटल इंडिया: हरीश धामी ने बताया कि सीएम का विधानसभा क्षेत्र धारचूला चीन और नेपाल सीमा से लगता है। यहां करीब 160 गांव हैं, जिसमें 90 हजार वोटर हैं और आबादी करीब सवा लाख है। लेकिन यहां के 80 पर्सेंट इलाके में भारतीय मोबाइल नेटवर्क पकड़ता ही नहीं है क्योंकि यहां टॉवर की संख्या काफी कम है।

यहां नेपाल के मोबाइल टॉवर का नेटवर्क पकड़ता है तो लोग मजबूरी में नेपाल का सिम लेकर उसका ही इस्तेमाल करते हैं। धामी ने कहा कि इंटरनैशनल बॉर्डर में बसे इस इलाके में ऐसी हालत देश की सुरक्षा के साथ भी खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इसे लेकर कई बार सवाल भी उठा चुके हैं।

धामी के मुताबिक, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू जब एसएसबी के कार्यक्रम में धारचूला इलाके में आए थे तब उनसे भी लोगों ने मोबाइल टॉवर की मांग की थी और दिक्कत के बारे में बताया था। धामी सवाल करते हैं कि क्या पीएम नरेंद्र मोदी कैशलेस इकॉनमी नेपाल के सिम के जरिए बनाने की सोच रहे हैं?

ऑनलाइन सिस्टम में भारी दिक्कत : धारचूला के इलाके से ही कैलाश मानसरोवर यात्रा गुजरती है और यहीं से भारत-तिब्बत व्यापार के लिए लोग जाते हैं। लेकिन पहाड़ों में मोबाइल सिगनल की दिक्कत से लोगों की जिंदगी मुश्किल होती जा रही है। जहां सभी चीजें ऑनलाइन हो रही हैं वहां बिना नेटवर्क के लोग कैसे काम चलाएंगे, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

धामी ने बताया कि जब से गैस बुकिंग ऑनलाइन हुई है तब से इलाके के लोगों को इसके लिए भी तीन दिन का इंतजार करना पड़ता है क्योंकि जब लोग सिगनल वाले इलाके में पहुंचेंगे तब ही गैस बुक करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम इस संबंध में पीएमओ और टेलिकॉम मिनिस्ट्री को भी ज्ञापन दे चुके हैं लेकिन कैशलेस इकॉनमी का सपना दिखा रही मोदी सरकार पहाड़ के लोगों की दिक्कतों को अनदेखा कर रही है।

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