तय समय पर सर्विस नहीं तो सैलरी से कटेंगे पैसे

विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
अगर लोगों को तय समय सीमा के अंदर दिल्ली सरकार के विभागों से सर्विसेज नहीं मिली तो संबंधित अधिकारियों की सैलरी से पैसे काटे जाएंगे। ये पैसे लोगों को मुआवजे के तौर पर दिए जाएंगे। दिल्ली सरकार जनवरी तक इस व्यवस्था को लागू करने की तैयारी कर रही है।

देश का पहला राज्य होगा दिल्ली
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को इस संबंध में बताया कि सरकार (द दिल्ली राइट ऑफ सिटिजन टु टाइम बाउंड डिलिवरी ऑफ सर्विसेज) अमेंडमेंट बिल में बदलाव करने जा रही है। इस बिल को कैबिनेट की मीटिंग में लाया जाएगा। इसके बाद कोशिश होगी कि इसी विधानसभा सत्र में इस बिल को पास कराया जाए। दिल्ली देश का पहला राज्य होगा जो इस नई व्यवस्था को लागू करने जा रहा है।

प्रेजेंटेशन पेश
बिल में इस तरह के बदलावों के लिए दिल्ली सरकार के रेवेन्यू डिपार्टमेंट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया के सामने एक प्रेजेंटेशन भी पेश किया। प्रेजेंटेशन के बाद केजरीवाल ने बताया कि अभी तक दिल्ली में अधिकारियों पर सर्विस डिलिवर ना करने के लिए फाइन का प्रावधान था और फाइन की राशि 500 रुपये रखी गई थी। लेकिन पिछले 3 सालों में एक भी अधिकारी पर यह फाइन नहीं हुआ।

सीधे अकाउंट में ट्रांसफर होगा पैसा
नए प्रावधानों में यह किया जा रहा है कि अगर कोई भी सर्टिफिकेट या सर्विस लोगों को 15 दिन के अंदर नहीं मिलती है तो यह सर्विस जितने दिन भी लेट होगी उस पर उस दिन के हिसाब से अधिकारी पर फाइन लगेगा। यह फाइन अधिकारी की सैलरी से काटा जाएगा। यह अभी तय होना बाकी है कि यह हर रोज कितना होगा। यह राशि लोगों को दी जाएगी। इसके लिए जब वह किसी भी सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई करेगा तो उसका अकाउंट नंबर ले लिया जाएगा, ताकि उसके अकाउंट में राशि ट्रांसफर हो सके। इस पर भी विचार किया जा रहा है कि यह राशि चेक के जरिए दी जाए।

अपने आप मिलेगा मुआवजा
केजरीवाल ने बताया कि पहले तय समय सीमा में सरकारी विभाग की सर्विस या सर्टिफिकेट ना मिल पान के कारण मुआवजा के लिए अप्लाई करना पड़ता था। अगर मुआवजा नहीं मिलता था तो फर्स्ट अपील और उसके बाद सेकंड अपील करनी पड़ती थी। इसमें कई महीने बीत जाते थे और राशि भी केवल 500 रुपये ही मिलती थी। लेकिन अब नए प्रावधानों में लोगों को ऑटोमैटिक तरीके से मुआवजा मिल जाएगा। इसके लिए एक फंड भी बनाया जाएगा। इसकी मॉनिटरिंग हर रोज के हिसाब से होगी।

…तो कॉम्पिटेंट अथॉरिटी पर भी गाज
इसके लिए एक कॉम्पिटेंट अथॉरिटी होगी। अगर यह अथॉरिटी 3 महीने के अंदर यह तय नहीं कर पाती कि मुआवजा किस अधिकारी की सैलरी से काटा जाए तो फिर कॉम्पिटेंट अथॉरिटी की सैलरी से यह राशि काटी जाएगी। सारा प्रोसेस ऑनलाइन होगा, इसलिए सबको पता होगा कि फाइल किस अधिकारी ने लेट की। अगर कोई अधिकारी किसी फाइल को जानबूझकर या गलत तरीके से रिजेक्ट करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

कोई बहाना नहीं चलेगा
केजरीवाल ने बताया कि इस सेवा को शुरू करने से पहले सभी विभागों के मुखियाओं को बोल दिया गया है कि अगर स्टाफ की कमी है तो वे पहले ही बता दें। नए प्रावधान लागू होने के बाद कोई बहाना नहीं चलेगा। दिल्ली में सरकारी विभाग लोगों के लिए करीब 350 के आसपास की सर्विसेज मुहैया कराते हैं। इनमें तमाम तरह के सर्टिफिकेट से लेकर बिजली पानी के कनेक्शन तक शामिल हैं।

अच्छे अधिकारियों को रिवॉर्ड भी
केजरीवाल ने कहा कि कुछ मामले ऐसे है जैसे हड़ताल हो गई या फिर कोई अचानक आपदा हो गई तो उस मामले में एक कमिटी निर्णय लेगी। लेकिन फाइन को माफ करने का अधिकार केवल संबंधित मिनिस्टर के पास ही होगा। दूसरी ओर जो अधिकारी समय पर सारी सर्विसेज मुहैया कराएंगे उन अधिकारी को सरकार हैंडसम रिवॉर्ड देगी।

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