16 घंटे तक मौत से लड़कर निकली 3 साल की मासूम

कानपुर
शहर के जाजमऊ एरिया में बुधवार दोपहर 6 फ्लोर की एक निर्माणाधीन बिल्डिंग अचानक जमींदोज जाने से उसके मलबे में दबकर शाम तक 6 लोगों की मौत की खबर आ चुकी थी, जबकि 20 लोग हैलट और उर्सला अस्पताल में ऐडमिट थे। मलबे में करीब 50 लोगों के दबे होने की आशंका थी। गुरुवार सुबह 5 बजे जब 3 साल की एक बच्ची सकुशल निकाली गई तो बचावकार्य में लगी टीम को नई उम्मीद मिली। पढ़िए, उस समय वहां क्या हालात थे-

प्रगति विहार कॉलोनी में 25 फुट ऊंचे मलबे के ढेर से लोगों की चीख-पुकार बाहर तो आ रही थी, लेकिन कोई भी ज्यादा कुछ करने के हालात में नहीं था। अभी ऑपरेशन चलते हुए 15 घंटे भी नहीं हुए थे कि मलबा हटा रहे NDRF के इंस्पेक्टर के हाथ पर किसी ने हाथ मारा। हर कोई चौंकन्ना हो गया। बेहद सावधानी से पिलर के बाद मलबा हटाया गया और वहां से किलकारी मारते हुए 3 साल की मासूम सुशीला बाहर निकली। फौजियों, NDRF और पुलिस के आंसू छलक पड़े और लोग खुशी से तालियां बजाने लगे।

NDRF ऑफिसर देवेंद्र कुमार के मुताबिक, गुरुवार सुबह करीब 4:30 बजे टीम मलबे में जिंदा लोगों को तलाश रही थी। इस बीच टीम के नितिन और सोनी ने एक पिलर के पास खाली जगह में हाथ बढ़ाया। अचानक किसी बच्चे ने नितिन का हाथ कसकर पकड़ लिया। हैरान नितिन समझ गए कि यहां कोई बच्ची जिंदा है। तुरंत कई जवानों को यहां लगाकर बेहद सावधानी से मलबा तेजी से हटाया गया।

5:30 बजे मासूम सुशीला, देवेंद्र को दिख गई। उन्होंने सुशीला को बाहर खींचने के लिए दोनों हाथ बढ़ाए तो सन्नाटे के बीच सुशीला ने किलकारी मारी। बाहर निकालते ही गर्म कपड़े में लपेट सुशीला को पैरामेडिकल स्टाफ को सौंपा गया। उन्होंने चेक कर बताया कि कान में मामूली खरोंच के अलावा बच्ची बिल्कुल ठीक है। सुशीला के पिता सीताराम और मां लक्ष्मी बिलासपुर से काम करने कानपुर आए थे।

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