नॉन-फूड आइटमों में एफडीआई पर सरकार कर रही विचार
|सरकार फूड प्रॉडक्ट्स के साथ नॉन-फूड आइटमों में एफडीआई को मंजूरी देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। सरकार मल्टी ब्रैंड रिटेल पॉलिसी के तहत ऐसा करने का मन बना रही है। इस बारे में फैसला नवंबर में होने वाले मेगा वर्ल्ड फूड इवेंट से पहले लिया जा सकता है। केंद्रीय फूड प्रोसेसिंग मिनिस्टर हरसिमरत कौर बादल ने 3 नवंबर से शुरू होने वाले 3 दिवसीय आयोजन की योजनाओं के लिए बुलाई गई अलग-अलग राज्यों के मंत्रियों के साथ बैठक के बाद इस बारे में संकेत दिए।
बादल ने कहा कि कई देशों के इनवेस्टर्स ने मांग की है कि मल्टी ब्रैंड एफडीआई पॉलिसी के तहत उन्हें इंडिया में प्रॉसेस किए गए और बनाए गए नॉन-फूड आइटमों की बिक्री फूड प्रॉडक्ट्स के साथ करने की इजाजत दी जाए। बादल ने कहा, ‘मैंने इनके सुझाव पीएमओ के समक्ष रख दिए हैं और इस बारे में कैबिनेट की मंजूरी की जरूरत होगी।’ उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद पैकेजिंग, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग से जुड़ी हुई दिक्कतों को दूर करना है ताकि किसानों को अपनी फसल की बढ़िया कीमत मिल सके और कटाई के बाद फसल की बर्बादी को रोका जा सके। हर साल देश में हजारों करोड़ रुपये की फसल बर्बाद हो जाती है।
बादल ने कहा, ‘मुझे लगता है कि नवंबर में मेगा वर्ल्ड फूड इंडिया आयोजित होने से पहले इस बारे में फैसला हो जाएगा।’ इंडिया मल्टी ब्रांड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई को इजाजत देता है, जबकि सिंगल ब्रांड रिटेल में कोई पाबंदी नहीं है। बैठक के दौरान केंद्रीय और राज्यों के मंत्रियों ने ड्राफ्ट फूड प्रोसेसिंग पॉलिसी पर भी चर्चा की ताकि किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सके और फसलों की बर्बादी को कम किया जा सके।
ड्राफ्ट नॉर्म्स को लोगों की राय के लिए रखा जाएगा और फाइनल पॉलिसी के दिल्ली में होने वाले वर्ल्ड फूड इवेंट से पहले आ जाने की उम्मीद है। सरकार इंडिया को सबसे पसंदीदा इनवेस्टमेंट के ठिकाने के तौर पर प्रॉजेक्ट करने के लिए पॉलिसी लाना चाहती है। इसके पीछे मकसद रोजगार बढ़ाने वाले एग्री-बिजनेस और फूड प्रोसेसिंग को प्रोत्साहन देना है। उत्तर प्रदेश के अमेठी में फूड पार्क कैंसल करने के आरोपों पर बादल ने कहा कि यह प्रोजेक्ट 2008 में मंजूर हुआ था और इसे काफी पहले रद्द कर दिया गया था।
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