होली स्पेशल:दीपिका सिंह से लेकर गीतांजलि मिश्रा तक, टीवी एक्टर्स ने शेयर की होली सेलिब्रेशन की यादें
|पूरे देश में आज होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। वैसे, ये त्योहार सिर्फ पानी के गुब्बारे और रंग के बारे में ही नहीं, बल्कि विशेष यादें बनाने के बारे में भी है। दैनिक भास्कर के साथ बातचीत में टेलीविजन सेलेब्स ने इस त्योहार से जुड़ी अपनी पसंदीदा यादें शेयर कीं। आइये जानते हैं क्या कहा उन्होंने: दीपिका सिंह: पहाड़गंज में खेली गई होली दिल के करीब है होली मेरा फेवरेट फेस्टिवल है। इस पर्व से जुड़ी कई यादें स्पेशल हैं। दिल्ली के पहाड़गंज में मनाई गई होली हमेशा दिल के करीब रहेगी। वहां होली खेली नहीं बल्कि खिलवाई जाती थी। अपने ताई-ताऊजी, कजिन, दोस्तों के संग जमकर रंगों से खेलते थे। मुझे याद है, किसी एक होली पर मुझे रंग से खेलने का मन नहीं था। लेकिन, मेरे दोस्तों ने जबरदस्ती मुझ पर रंग लगा दिया। बस फिर क्या? मैंने जो उन्हें रंग से नहला दिया, वे हैरान रह गए। मुझे आज भी उनका वो चेहरा याद है। शुभांगी अत्रे: बुखार से बचने के लिए पापा गर्म पानी से होली खेलने को कहते मेरे लिए होली रंग, मस्ती, खाने-पीने, नाचने, भांग पीने का त्यौहार है। मैं इसे सेलिब्रेट करने का एक भी मौका नहीं छोड़ती। इस साल भी अपने दोस्तों के संग मिलकर खूब मस्ती करने का प्लान है। मेरे कुछ दोस्त हैं जो बिना बुलाए ही घर आ जाते हैं। मैं रात तक एन्जॉय करती हूं। मुझे बचपन से ही होली खेलने का बहुत शौक है। सुबह घर से निकलती और देर शाम को ही लौटती। मैं अपने घर में सबसे छोटी और सभी की चहेती हूं। मैं मध्य प्रदेश की रहने वाली हूं। होली के वक्त वहा थोड़ी बहुत ठंड होती है। मेरे पापा इलेक्ट्रिक रोड से पानी गर्म करके रखते थे। जब मेरे दोस्त आते तो पापा उनसे कहते थे कि गर्म पानी से मेरी बेटी से साथ खेलो ताकि मुझे बुखार ना हो जाए। पापा की ये बात हमेशा याद आती है। ईशा सिंह: एक हफ्ते तक परमानेंट कलर नहीं छूटा जब मैं भोपाल में थी तो हमारा पूरा परिवार एक साथ होली खेलने निकलता था। अब जब मैं अपने काम के सिलसिले में मुंबई शिफ्ट हो गई हूं तो अपने हेक्टिक शेड्यूल की वजह से छुट्टी मिल पाना बड़ा मुश्किल होता है। मुझे याद है होली पर जब मैं लगभग 12 साल की थी, तो पानी से भरा एक बड़ा टब था जिसमें से सभी अपनी पिचकारियों को भर रहे थे। मेरे चचेरे भाइयों ने मुझे उठाया और मुझे उस टब में फेंक दिया, जिससे मैं सिर से पैर तक भीग गई। मुझे लगा ये मामूली सा रंग होगा जो जल्द ही निकल जाएगा। हालांकि टब परमानेंट कलर से भरा हुआ था। मेरे सभी प्रयासों और घरेलू उपचारों के बावजूद एक हफ्ते तक कलर नहीं छूटा। गीतांजलि मिश्रा: अंडे फेंके गए, खूब रोई थी स्कूल-कॉलेज में मनाई गई होली हमेशा याद आती है। बिना कोई जिम्मेदारी हम एन्जॉय करते थे। बचपन का एक किस्सा याद है। मैं शायद 10 साल की थी। मां ने अचानक बाजार से दूध लाने को कह दिया। बिना सोचे निकल गई घर से। मोहल्ले के सभी लोगों ने काला, हरा, नीला रंग चेहरे पर लगा दिया। इतना ही नहीं, मुझ पर अंडे भी फेंके गए थे। मुझे बहुत बुरा लगा। मैं 3 दिन तक रोती रही। श्रुति चौधरी: मां के बनाए हुए मालपुआ बहुत मिस करती हूं होली के दिन, मां मालपुआ जरूर बनाती हैं। उस मालपुआ को देख मेरी उत्साह की कोई सीमा नहीं होती थी। मैं इंतजार करती कि कब हम सब फैमिली मेंबर्स इकठ्ठा होकर वो मालपुआ खाएं। मैं अपनी मां के हाथों का स्वादिष्ट खाना बहुत मिस करती हूं।