हिमालय से आने वाले भूकंप से होगी बड़ी तबाही
| आईआईटी कानपुर के नैशनल इन्फॉर्मेशन सेंटर ऑन अर्थक्वेक इंजिनियर (एनआसीईईई) के कोऑर्डिनेटर दुर्गेश राय के मुताबिक, भाषणों के अलावा कुछ नहीं हो रहा है। हाईराइडज बिल्डिंग्स सेफ नहीं हैं। हिमालय में भूकंप आने पर तबाही का दायर दिल्ली क्या पूरे यूपी में होगा। प्रफेसर राय के अनुसार, हिमालय से नजदीकी के कारण मेरठ में भूकंप की छोटी-मोटी घटनाएं होती रहेंगी। इनकी तीव्रता कभी कम होगी तो कभी थोड़ी ज्यादा। हमें यह देखना होगा कि भूकंप की व्यापकता से कंपन (शेकिंग) कितना होगा। अगर भूकंप कहीं दूर आएगा तो कंपन थोड़ा कम रहेगा। वैसे इस एरिया में रिक्टर स्केल पर 4-5 की तीव्रता वाले झटके आ सकते हैं। भूकंप का केंद्र एपिसेंटर कहीं दूर भी हो सकता है। राय कहते हैं कि सेसमिक जोन-5 में मौजूद हिमालय में रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता का भूकंप आया तो दिल्ली के अलावा पूरे यूपी को जबर्दस्त खतरा है। उदाहरण के तौर पर गुजरात के कच्छ में आए भूकंप से ज्यादा नुकसान करीब 250 किमी दूर अहमदाबाद में हुआ था। यहां 120 बिल्डिंग ध्वस्त हो गईं थीं और 800-900 लोगों की मौत हुई थी। कुछ ऐसा ही खतरनाक होने की आशंका यूपी में खासकर बड़े शहरों में है। राय के मुताबिक, कानपुर, लखनऊ, मेरठ समेत यूपी में बिल्डर जो भी हाईराइज बिल्डिंग्स बना रहे हैं, वे सेफ नहीं हैं। कहीं भी बिल्डिंग कोड का पालन नहीं किया जा रहा है। यूएनडीपी ने भी अतिसंवदेनशीलता कम करने के लिए कहा है, लेकिन सिर्फ भाषणबाजी ही हो रही है। खासकर लखनऊ और तराई के इलाकों में पिछले 10 सालों में ढेरों मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स बनी हैं, लेकिन ज्यादातर जगहों पर ये भूकंपरोधी नहीं हैं।
मेरठ में सोमवार को भले ही हल्की तीव्रता का भूकंप आया है, लेकिन वैज्ञानिक इसे भविष्य के लिए खतरा मान रहे हैं। उनका कहना है कि लोकल फॉल्ट से आने वाले भूकंप की तीव्रता 4-5 तक हो सकती है, लेकिन हिमालयन रीजन में आने वाले भूकंप बेहद खतरनाक हो सकते हैं।
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