स्वीपर और पत्थर तोड़ने वाले के बच्चे बनेंगे इंजिनियर
|IIT-JEE का रिजल्ट पूर्वांचल के गरीब मजदूर-मिस्त्री, किसानों के परिवारों में खुशियां लेकर आया। बनारस में खुले ‘कॉन्कर सुपर-30’ से मुफ्त में IIT की तैयारी कर स्वीपर की बेटी अथागत गार्गी ने (रैंक 2026) जेईई अडवांस क्वालिफाइ किया है। चंदौली की अथागत गार्गी के पिता की मौत हो चुकी है। बेटी के सपने को पूरा करने के लिए मां लोगों के घर और प्राइवेट हॉस्पिटल में स्वीपर का काम करती है।
वहीं, खेत में मजदूरी करने वाली आजमगढ़ की कांता की बेटियां संगीता (रैंक 5481) और नंदिनी (रैंक 5420) भी पीछे नहीं। पत्थर तोड़ परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करने वाले प्रदीप का बेटा राजेंद्र (7931) भी अब इंजिनियर बनेगा। अडवांस क्वालिफाइ करने वाले बलिया के लवकेश राम (रैंक 4268) के पिता उपेंद्र तथा गाजीपुर के हरिओम यादव( रैंक 64) के पिता हवलदार की सालाना इनकम 18 से 25 हजार रुपये ही है।
सेंटर फॉर सोशल रिस्पांस्बिल्टी एंड लीडरशीप (CSRL) ने कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के सहयोग से ‘कॉन्कर सुपर-30’ की शुरुआत बनारस में बीते साल अगस्त महीने में हुई थी। फर्स्ट बैच के 29 में से 28 छात्रों ने JEE मेन और 18 ने अडवांस क्वालिफाइ किया है। इसमें पूर्वांचल के विभिन्न जिलों के बहुत से छात्र तो इतने गरीब हैं कि पढ़ना-कोचिंग करना तो दूर, दो वक्त भरपेट खाना मिलना भी मुश्किल है। इनको सालभर मुफ्त में न सिर्फ आईआईटी की तैयारी कराई गई बल्कि रहने खाने से लेकर सारा जिम्मा कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने उठाया।
CSRL के चेयरमैन बालेश्वर राय (रिटायर्ड आईएएस) ने बताया कि 2009 में पहला सेंटर खोलने के बाद अब देशभर में 13 सेंटर हैं। जिसमें हर साल पांच सौ से ज्यादा गरीब छात्रों को आईआईटी की तैयारी मुफ्त में कराई जा रही है। बीते आठ सालों में 1586 मेघावी छात्रों को आईआईटी, एनआईटी, ट्रिपल आईटी और टॉप इंजिनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश मिला है। करीब एक हजार छात्र इंजनीनियर बन लाखों के पैकेज पर देश-विदेश में काम कर रहे हैं।
‘कॉन्कर सुपर-30’ के कश्मीर सेंटर-चीफ मैनेजेर सुशील कुमार मिश्रा के मुताबिक CSRL ने कश्मीर में भी सेंटर खोला है। पत्थरबाजों के बीच पढ़ने वाले चार छात्रों को इस बार सफलता मिली है। नार्थ ईस्ट के पांच सेंटरों के छात्रों ने भी बेहतर प्रदर्शन किया है।
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