सैफ-करीना की शादी में बर्तन धोए, चॉल में भी रहे:लोग बोले- तुम हीरो मटेरियल नहीं, आज पंचायत के दामाद जी बन फेमस हुए आसिफ
|सीरीज पंचायत के पहले पार्ट में नाराज दामाद और उनके चक्के वाले कुर्सी का किस्सा बहुत फेमस हुआ था। नाराज दामाद के इस किरदार को आसिफ खान ने निभाया था। दोपहर 1 बजे आसिफ अपने संघर्ष की कहानी बताने मुंबई स्थित दैनिक भास्कर के ऑफिस पहुंचे। उनके स्वागत में हमने भी उन्हें चक्के वाली कुर्सी दी, जिसे देख वे हंस पड़े। आसिफ ने कहा कि उन्हें पता ही नहीं था कि यह छोटा सा किरदार इतना फेमस हो जाएगा। लुक टेस्ट के दौरान आसिफ चाहते थे कि वे इस रोल के लिए सिलेक्ट ही ना हों, लेकिन ऑडिशन में वे पास हो गए। राजस्थान के एक छोटे से गांव में जन्मे आसिफ ने यहां तक पहुंचने के लिए ना जाने कितने संघर्ष की बेड़ियों को तोड़ा है। एक वक्त ऐसा था कि वे होटल में वेटर का काम करते थे। सैफ अली खान और करीना कपूर की शादी में भी उन्होंने वेटर का काम किया था। आज स्ट्रगल स्टोरी में पढ़िए आसिफ खान के संघर्ष की कहानी, उन्हीं की जुबानी… पिता जेपी सीमेंट में काम करते थे, पढ़ाई से बचने के लिए नाटक से जुड़े आसिफ खान का जन्म 13 मार्च 1991 को राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के छोटे से गांव निम्बाहेड़ा में हुआ था। पिता जेपी सीमेंट में काम करते थे और मां हाउस वाइफ हैं। बचपन के बारे में उन्होंने कहा, ‘अब्बू जेपी सीमेंट में काम करते थे। यहां से जो पैसे आते थे, उसकी बदौलत मुझे एक इंग्लिश मीडियम स्कूल में एडमिशन मिल गया। हालांकि मैं पढ़ाई में बिल्कुल अच्छा नहीं था। जैसे-तैसे करके बस पास हो जाता था। इसी दौरान मुझे स्कूल में हो रहे एनुअल फंक्शन के बारे में पता चला। पढ़ाई से बचने के लिए मैंने भी एक नाटक में पार्टिसिपेट कर लिया। दोस्तों के साथ उन टीचर्स की भी तारीफ मिलने लगी, जो कभी पढ़ाई के लिए शाबाशी नहीं देते थे। इस प्रोत्साहन की वजह से मैं दूसरे कई नाटक कॉम्पिटिशन में पार्टिसिपेट करने लगा। इसी की बदौलत चित्तौड़गढ़ के आस-पास पॉपुलर भी हो गया।’ अब्बू के निधन के बाद तंगी में डूबा परिवार, आसिफ को करने पड़े छोटे-मोटे काम ‘सब कुछ ठीक चल रहा था कि 2008 में अब्बू का इंतकाल हो गया। घर पर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। बड़े भाई पढ़ने में अच्छे थे। ऐसे में हमने फैसला किया कि वे पढ़ाई पूरी करेंगे और घर की जरूरतों के लिए मैं कमाऊंगा। इस वक्त मैं 7वीं क्लास में था। अब्बू के जाने के बाद उस स्कूल की फीस भरने की हैसियत नहीं थी। इस कारण वहां से नाम कटा कर एक सरकारी स्कूल में दाखिला ले लिया। सबसे पहले मुझे एयरटेल ऑफिस में नौकरी मिली। सुबह से दोपहर वहां काम करता, फिर स्कूल जाता। वहां से छूटने के बाद वापस काम पर चला जाता। ये सिलसिला डेढ़-दो साल तक चला। इसी दौरान मैंने कई छोटी-मोटी नौकरियां कीं। कुछ समय मैंने मामा के साथ स्टील फर्नीचर का भी काम किया।’ मां को झूठ बोलकर मुंबई पहुंचे ‘अब्बू के PF के कुछ पैसे थे। अम्मी ने सोचा कि उन्हीं पैसों से मेरा दाखिला पास के एक कॉलेज में डिप्लोमा कोर्स में करा दिया जाए। ये सब सुन मैं परेशान हो गया। भले ही मैं दूसरे काम कर रहा था, लेकिन मेरा मन एक्टिंग में बसता था। एक दिन मौका देखते ही मैंने अम्मी को सच बता दिया कि मैं सिर्फ और सिर्फ एक्टर बनना चाहता हूं। ये सुनते ही वो दंग रह गईं। उन्हें लगा कि एक्टिंग फील्ड से जुड़ कर मैं अपनी लाइफ बर्बाद कर लूंगा। उन्होंने मेरे इस फैसले का बहुत विरोध किया और ठान लिया कि डिप्लोमा में एडमिशन करवा कर ही मानेंगी। तब इससे बचने के लिए मैंने एक झूठ बोला। मैंने अम्मी से कहा कि मुझे नाना के घर इंदौर जाना है। इसके लिए उन्होंने मंजूरी दे दी। स्टेशन पहुंचने पर इंदौर की ट्रेन में ना बैठकर मुंबई की ट्रेन में बैठ गया और मुंबई चला आया। यहां पहुंचने के बाद अम्मी को सच्चाई बताई। तब उन्होंने गुस्से में कहा- मुंबई क्या करने गया है? जवाब में मैंने कहा- थोड़ा वक्त दो, पता चल जाएगा कि क्या करने आया हूं।’ मुंबई आने पर रिश्तेदार ने ही दिया धोखा 17 साल की उम्र में आसिफ मुंबई आए थे। जब बोरीवली स्टेशन पहुंच कर उन्होंने यहां रहने वाले रिश्तेदार को कॉल किया, तो सामने से उसका जवाब सुन उन्हें धक्का लगा। इसे बारे में आसिफ कहते हैं, ‘उस शख्स का नाम नहीं लूंगा। जब मैंने उन्हें बताया कि मुंबई आया हूं और उनके घर आना चाहता हूं तब उन्होंने कहा- आज के बाद मुझे कॉल मत करना। हमारा कोई रिश्ता नहीं है। इसके बाद मैंने एक-दो और लोगों को कॉल किया, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। तब एक दोस्त मसीहा बन कर आया और उसने अपने छोटे से घर में रहने की जगह दी।’ पहली नौकरी होटल में वेटर की मिली, 6-7 लोगों के साथ चॉल में रहने लगे ‘मुंबई आने के 4-5 दिन बाद काम की तलाश शुरू की। तब सतीश कौरव नाम के एक कोऑर्डिनेटर की मदद से वेस्टिन होटल में वेटर का काम मिला। यहां मुझे एक दिन का 225 रुपए और एक टाइम का खाना मिलना तय हुआ। बस रहने की व्यवस्था करनी बाकी थी। सतीश जी ने ही होटल के पास की एक चॉल में रहने का इंतजाम भी करा दिया, जहां महीने का किराया 800 रुपए था। एक कमरे में हम 6-7 लोग रहते थे। मैंने इस नौकरी की खबर अम्मी तक पहुंचा दी, ताकि वे भी निश्चिंत हो जाएं कि उनका बेटा किसी गलत राह पर नहीं जा रहा है।’ सैफ और करीना की शादी के फंक्शन में बर्तन धोए आसिफ ने सैफ अली खान और करीना कपूर की शादी में किचन की साफ-सफाई का काम किया है। इस दिन के बारे में वे कहते हैं, ‘वेस्टिन होटल में काम करने के बाद मैं मुंबई के एक दूसरे फेमस होटल में काम करने लगा। यहां मैं किचन डिपार्टमेंट में काम करता था। एक दिन देखा कि उसी होटल में शाम को करीना कपूर और सैफ अली खान की शादी होनी है। ये देख मैं बहुत खुश हुआ कि आज कई नामचीन सेलिब्रिटी से मुलाकात हो जाएगी। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। शाम को फंक्शन शुरू हुआ। मैंने देखा कि फंक्शन में अमिताभ बच्चन और दीपिका पादुकोण जैसे बड़े सेलेब्स आए हैं। मैं किचन से ही उन्हें निहार रहा था, अंदर से उनसे मिलने के लिए बेचैन हो रहा था। मैंने मैनेजर से कहा कि आज मुझे वेटर का काम दे दो, लेकिन वो नहीं माना। मैंने बहुत मिन्नतें कीं, पर उसका दिल नहीं पिघला। मैनेजर की जिद की वजह से कुछ ही दूरी पर बैठे उन लोगों से नहीं मिल पाया, जिनसे मिलना मेरा बहुत बड़ा सपना था। भूखे पेट का सवाल था। ऐसे में चुप रहकर कड़वा घूंट पी लिया और बाथरूम में खुद को बंद करके खूब रोया।’ जब कास्टिंग कोऑर्डिनेटर ने कहा- तुम हीरो मटेरियल नहीं हो आसिफ ने बताया कि होटल में काम करने के दौरान ही वे ऑडिशन देने भी जाते थे, लेकिन हर बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ता। एक बार वे अनुराग कश्यप के ऑफिस भी गए थे, लेकिन गार्ड ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। इसी दौरान आसिफ के साथ ऐसी घटना घटी, जिससे वे बहुत आहत हुए। आसिफ ने कहा, ‘एक दिन मेरी मुलाकात कास्टिंग कोऑर्डिनेटर शांति लाल मुखर्जी से हुई। जब मैंने ऑडिशन दिया तो उन्होंने कहा कि मैं मिमिक्री कर रहा हूं। फिर उन्होंने कहा- तुम हीरो मटेरियल नहीं हो, ना ही तुम्हें एक्टिंग आती है। ना ही तुम्हारे पापा करोड़पति हैं, जो पैसा लगा कर तुम्हें लॉन्च कर देंगे। बेहतर यही होगा कि तुम पहले एक्टिंग सीख कर आओ। हालांकि उनकी ये बात मुझे बुरी लगी, लेकिन कहीं न कहीं इसने मुझे आइना भी दिखाया। इस घटना के बाद मैं एक्टिंग सीखने के बारे में सोचने लगा।’ पैसे ना होने की वजह से एक्टिंग स्कूल में दाखिला नहीं मिला ‘बैरी जॉन को सबसे बढ़िया एक्टिंग गुरु माना जाता है। मैं भी उनके पास एडमिशन लेने के लिए गया, लेकिन वहां से भी खाली हाथ लौट आया। वजह यह थी कि मेरे पास फीस के लिए ज्यादा पैसे नहीं थे। मैं थक हारकर वापस राजस्थान आ गया और वहां थिएटर करने लगा। 5-6 साल बाद काला घोड़ा फिल्म फेस्टिवल में हमारा एक प्ले हुआ। इसे बेस्ट प्ले का अवॉर्ड मिला। इसके लिए लोगों का प्यार देख मुझे फिर से हौसला मिला और 2016 में वापस मुंबई आ गया।’ दोबारा मुंबई वापसी पर भी निराशा ही हाथ लगी आसिफ को लगा था कि थिएटर करने के बाद इंडस्ट्री में उन्हें काम आसानी से मिल जाएगा। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने बताया, ‘मुंबई आने के बाद काम मांगने का सिलसिला फिर से शुरू हुआ, लेकिन उसके बदले में सिर्फ NOT FIT का टैग मिला। 2-3 महीने बीत गए, पैसे भी खत्म हो गए। तब सोचा कि थोड़े टाइम के लिए कुछ दूसरा काम कर लूं। मैंने सोचा कि कास्टिंग कर लेता हूं। इसी के लिए मैंने एक्टर अभिषेक बनर्जी से मुलाकात की। फिर उन्हीं की बदौलत रेड, लुक्का-छिप्पी और अर्जुन पटियाला जैसी फिल्मों की कास्टिंग करने का मौका मिला।’ इतने स्ट्रगल के बाद आसिफ को पहली बार फिल्म इंडियाज मोस्ट वांटेड में काम मिला। इसके बाद उन्हें पाताल लोक, जामताड़ा, मिर्जापुर और पंचायत जैसी सीरीज में देखा गया। पंचायत में काम नहीं करना चाहते थे सीरीज पंचायत की बदौलत आसिफ को बहुत पॉपुलैरिटी मिली। हालांकि खास बात यह है कि इस सीरीज में वे काम करना नहीं चाहते थे। उन्होंने कहा, ‘मैं मिर्जापुर और पाताल लोक की शूटिंग कर रहा था। एक दिन कास्टिंग डायरेक्टर नवनीत श्रीवास्तव का कॉल आया, जो मेरे बहुत अच्छे दोस्त भी हैं। उन्होंने कहा- एक सीरीज है, पंचायत। उसमें एक अक्खड़ दामाद का किरदार है। तुम इसके लिए परफेक्ट हो, आकर इसका ऑडिशन दे दो। हालांकि स्क्रीन स्पेस बहुत छोटा है। ये सुन कर मैंने मना कर दिया क्योंकि पहले से दो प्रोजेक्ट के लिए काम कर रहा था, लेकिन उनकी जिद की वजह से ऑडिशन देने चला गया। तेज गर्मी में मुझे कोट और पुराना सा साफा पहना दिया गया। इस कारण दिमाग और खराब हुआ। उसी खराब मूड में ऑडिशन दिया। शायद इसी वजह से एक्टिंग काफी नेचुरल लगी और सभी को मेरा काम पसंद आया। ना चाहते हुए भी मैं सिलेक्ट हो गया। फिर भोपाल आकर मैंने शूटिंग पूरी की और वापस मुंबई चला गया। कुछ दिनों बाद मुझे याद भी नहीं रहा कि मैंने पंचायत नाम की किसी सीरीज में काम किया है। सच कहूं तो मुझे यह भी नहीं पता था कि यह अमेजन प्राइम पर स्ट्रीम की जाएगी। एक लंबे वक्त के बाद इस सीरीज को रिलीज किया गया। इसकी रिलीज के आस-पास ही मेरी भतीजी का जन्म हुआ था। हॉस्पिटल के काम में इतना मसरूफ था कि मुझे पता भी नहीं चला कि कब ये सीरीज स्ट्रीम कर दी गई। एक दिन एक दोस्त का कॉल आया और उसने बताया कि मेरा यह किरदार बहुत फेमस हो गया है। मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ। लोगों का ये प्यार देख आज बहुत खुशी मिलती है। आसिफ ने अपकमिंग प्रोजेक्ट्स के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा- मैं आने वाले दिनों में वैम्पायर ऑफ विजय नगर, द वर्जिन ट्री और नूरानी चेहरा जैसी फिल्मों में दिखाई दूंगा। इन फिल्मों में मुझे आयुष्मान खुराना, सामंथा रुथ प्रभु, संजय दत्त और नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिलेगा। इसके अलावा भी 2-3 फिल्में हैं।