खबर के मुताबिक जवान को यह सफर तय करने में 5 दिन का समय लगा, इसमें उसके कुछ रिश्तेदार और बीच में पढ़ने वाले गांव के ग्रामीणों ने भी उसकी मदद की। पांच दिन बाद करनाह पहुंच कर धार्मिक रीती-रिवाज़ के साथ जवान ने अपनी मां का अंतिम संस्कार कराया…
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