सुधारों की प्रक्रिया जारी रही तो 10% तक पहुंच सकती है आर्थिक विकास की दर: एक्सपर्ट
|यूपी और दूसरे राज्यों में बीजेपी की जीत के बाद केंद्र सरकार आर्थिक सुधारों की गति तेज करेगी, जिससे देश की जीडीपी ग्रोथ 10 प्रतिशत तक जा सकती है। कोटक म्यूचुअल फंड के मैनेजिंग डायरेक्टर नीलेश शाह ने प्रशांत महेश को दिए इंटरव्यू में यह बात कही। पेश हैं इंटरव्यू के खास अंश:
बीजेपी को यूपी में जबरदस्त जीत मिली है। मार्केट इसे किस तरह से देख रहा है?
यह नरेंद्र मोदी के डिवेलपमेंट और ग्रोथ के अजेंडा की जीत है। अब सरकार तेजी से रिफॉर्म्स कर सकती है, जिससे देश की ग्रोथ मौजूदा 7 प्रतिशत से 10 प्रतिशत पहुंच जाएगी। ग्रोथ को तेज करने के लिए हमें कुछ कदम उठाने की जरूरत है। सबसे पहले बैंकों की एनपीए की समस्या सुलझानी होगी। ऐसा जल्द करने की जरूरत है। बैंकों को इसके लिए अतिरिक्त पूंजी की जरूरत नहीं है। सरकार को एनपीए की प्रॉब्लम सुलझाने के लिए कदम उठाने पड़ेंगे। केंद्र अगर अपने बैंकों में हिस्सेदारी घटाकर 51 प्रतिशत से कम करता है तो इस मसले का हल आसानी से निकल सकता है।
दूसरी बात यह है कि हमें श्रम कानूनों में सुधार की जरूरत है। अभी तक देश में श्रम नीति बहुत सख्त है। हमें ऐसे श्रम कानून की जरूरत है तो भारतीय मजूदरों के उपयुक्त हो। हम ग्रोथ बढ़ाने के लिए लेबर रिफॉर्म में किस तरह सुधार कर सकते हैं? तीसरी सबसे जरूरी चीज यह है कि हमें बिजनस करने के तरीके को आसान बनाना होगा। इंस्पेक्टर राज, इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधी दिक्कतों को दूर करने की जरूरत है। हमें तेजी से प्रॉजेक्ट्स को क्लीयर करना होगा और बिजनस के लिए हालात बेहतर बनाने होंगे। मार्केट्स तेज इकनॉमिक ग्रोथ के लिए ऐसी कुछ चीजों पर नजर रखे हुए है।
नोटबंदी के बाद शेयर बाजार में काफी तेजी आई है और इंडेक्स ऑल टाइम हाई लेवल के काफी करीब हैं। कई लोगों का कहना है कि शेयर बाजार बहुत महंगा हो चुका है…
वैल्यूएशन अब 2013 की तरह कम नहीं रह गए हैं, लेकिन मार्केट जनवरी 2008 की तरह महंगा भी नहीं है। बाजार फेयर वैल्यू से कुछ अधिक वैल्यूएशन पर है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस सेक्टर की बात कर रहे हैं। मार्केट्स को चुनाव के बाद मिले सकारात्मक परिणामों से समर्थन मिलेगा। जीएसटी के लागू होने और कुछ अन्य सरकारी नीतियों से उत्पादकता बढ़ेगी। कुल मिलाकर सेंटीमेंट बहुत पॉजिटिव है। इंश्योरेंस कंपनियां, म्यूचुअल फंड्स, पेंशन स्कीम्स, प्रॉविडेंट फंड्स, रिटेल, एचएनआई और एफआईआई की तरफ से मार्केट में काफी निवेश हो रहा है। सेंटीमेंट और इस निवेश के चलते मार्केट को सपॉर्ट मिल रहा है। ऑटो कंपोनेंट्स, सीमेंट, बिल्डिंग मटीरियल्स, एफएमसीजी, प्राइवेट बैंक, एनबीएफसी, केमिकल्स, स्पेशलिटी केमिकल्स सेक्टर में ग्रोथ बहुत अच्छी है। आईटी, सरकारी बैंकों और कगुछ कमोडिटी कंपनियों की हालत बढ़िया नहीं है। कुछ सेगमेंट में शेयर वाजिब वैल्यूएशन पर मिल रहे हैं। इनकी प्रॉफिट ग्रोथ आगे चलकर बढ़ सकती है।
जीएसटी को जुलाई में लागू किया जा सकता है। मार्केट इसे लेकर क्या चाहता है?
मार्केट की नजर इस बात पर होगी कि क्या रेट्स तय किए जाते हैं। अगर आप ऐसा स्टॉक चुनते हैं, जिसके लिए अभी ऐवरेज टैक्सेशन 22 प्रतिशत है और यह जीएसटी लागू होने के बाद 18 प्रतिशत वाले ब्रैकेट में आता है तो ये कंपनियां 4 प्रतिशत का बेनेफिट कन्ज्यूमर्स को नहीं देंगी। इससे कंपनियों के मार्जिन में बढ़ोतरी होगी। वहीं, जिन कंपनियों पर टैक्स का बोझ बढ़ेगा, उनका प्रदर्शन कुछ खराब रह सकता है। जीएसटी को लागू करने के बाद टैक्स हैरासमेंट नहीं बढ़ना चाहिए।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व इस साल तीन बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की बात कर रहा है। ऐसे में ग्लोबल मार्केट्स से क्या उम्मीदें होनी चाहिए?
मार्केट यह मानकर चल रहा है कि फेडरल रिजर्व मार्च में ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा। फेडरल रिजर्व ने आने वाले समय के लिए भी स्पष्ट दिशानिर्देश दिया है। इस साल एक और रेट हाइक का असर शेयर बाजार पर पहले ही पड़ चुका है। हमें यूरोप के चुनावों पर भी नजर रखनी होगी। ब्रेग्जिट का उतना बुरा असर नहीं हुआ, जिसकी आशंका जताई जा रही थी। हालांकि, अगर फ्रांस यूरो जोन से बाहर होता है तो पूरा यूरो सिस्टम धराशायी हो सकता है। ऐसे में निवेशक रिस्क लेने से बचेंगे।
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