सीलिंग: पहले से भी बदतर होंगे हालात?

रामेश्वर दयाल, नई दिल्ली

सीलिंग को लेकर करीब दस साल पहले जो हालात थे, क्या इस बार हालात उससे भी बदतर हो सकते हैं। यह सवाल इसलिए उठने लगा है कि मॉनिटरिंग कमिटी एक रिपोर्ट तैयार कर रही है, जिसमें इस बात की विस्तार से जानकारी दी जाएगी कि निर्माण को लेकर किस तरह पिछले दस साल में हालात गंभीर रूप से बदतर हो गए और अवैध निर्माणों के खिलाफ खास एक्शन नहीं हुए। रिपोर्ट में प्रशासन को भी कटघरे में रखने की तैयारी है। माना जा रहा है कि कमिटी की इस रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने एक्शन के आदेश दिए तो सीलिंग को लेकर हालात पहले से भी बदतर हो सकते हैं।

सीलिंग और अवैध निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 12 जनवरी को सुनवाई है। सूत्र बताते हैं कि मॉनिटरिंग कमिटी सुनवाई में पेश करने के लिए एक रिपोर्ट तैयार कर रही है। रिपोर्ट तय करेगी कि इस मसले पर कोर्ट का रुख कैसा हो सकता है। कमिटी के एक सदस्य का मानना है कि रिपोर्ट तैयार की जा रही है, क्योंकि पिछली सुनवाई के दौरान ही कोर्ट ने कमिटी को निर्देश दिए थे कि वह देखे कि इस मसले पर उसने दस साल पहले जो आदेश दिए थे, उनका पालन हो रहा है या नहीं और दुकानदार सीलिंग से बचने कन्वर्जन चार्ज आदि जमा करा रहे हैं या लापरवाही बरत रहे हैं। फिलहाल रिपोर्ट को लेकर खासी सतर्कता बरती जा रही है।

सूत्र बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाने वाली रिपोर्ट खासी ‘विस्फोटक’ हो सकती है। उसका कारण यह है कि चल रहे अपने एक्शन के दौरान कमिटी इस बात को देखकर हैरान हुई कि दस साल पहले उसके आदेश पर जो अवैध निर्माण तोड़े गए थे, वहां पिछली बार भी कई गुणा अवैध निर्माण हो चुके हैं। कमिटी ने खुद और एमसीडी की रिपोर्ट के आधार जो जांच की है, उसके अनुसार वसंत कुंज, किशनगढ़, महिपालपुर, हौजखास, रोहिणी, अशोक विहार आदि इलाकों में सबसे अधिक अवैध निर्माण हुए हैं। कमिटी इस बात को भी देखकर हैरान है कि जिन बाजारों में कोई फ्लोर बनाने की इजाजत नहीं थी, वहां फ्लोर बना लिए गए हैं, तो जिन सड़कों के ग्राउंड फ्लोर पर कारोबार की इजाजत और पहली मंजिल को रिहायशी घोषित किया गया था, वहां तीन-चार मंजिल तक भी दुकानें या ऑफिस चल रहे हैं।

कमिटी अपनी जांच में इस बात से हैरान है कि दस साल पहले जिन रिहायशी इलाकों की सड़कों को मिक्स लैंड यूज घोषित किया था, वहां के दुकानदार पार्किंग शुल्क व कन्वर्जन चार्ज देने में तो भारी लापरवाही बरत ही रहे हैं, जबकि पुराने बाजारों से भी यह चार्ज पूरे तौर पर वसूल नहीं हो पा रहा है। गौरतलब है कि कारोबारियों द्वारा इन चार्ज को देने रजामंदी के बाद ही सीलिंग और तोड़फोड़ की कार्यवाही रोकी गई थी। कमिटी अपने भ्रमण में इस बात की भी जानकारी ले चुकी है कि दस साल पहले जिन इलाकों में अवैध निर्माण नहीं हुए थे, वहां पिछले दस साल में जबर्दस्त निर्माण हो चुके हैं। कमिटी को जांच में पता चला है कि यह सब कुछ पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत से हुआ है, इसलिए उसके निशाने पर अधिकारी भी हैं।

सूत्र बताते हैं कि उपरोक्त मसलों को लेकर ही मॉनिटरिंग कमिटी अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है। कहा तो यह भी जा रहा है कि रिपोर्ट में स्थानीय निकायों के अफसरों व इंजीनियरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए जाएंगे और सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की जाएगी कि वह ऐसे अफसरों के खिलाफ कड़े एक्शन ले, जिनके कार्यकाल में अवैध निर्माण हुए या चार्ज नहीं वसूला गया। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किए तो सीलिंग और अवैध निर्माण पर एक्शन को लेकर हालात पहले से भी बदतर हो सकते हैं।

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