सीनियर नेताओं का ‘इस्तेमाल’ करेगी बीजेपी
|प्रदेश बीजेपी ने अपने उन सीनियर नेताओं को एक बार फिर से ‘चार्ज’ करने का निर्णय लिया है, जिन्हें पिछले कुछ सालों से कोई पद नहीं मिला है और वे एक तरह से खाली बैठे हुए हैं। आलाकमान के आदेश के बाद इन नेताओं को विभिन्न कमेटियों (डिपार्टमेंट्स) और प्रकल्पों का प्रमुख पद देने की तैयारी शुरू हो चुकी है। चर्चा इस बात की भी है कि पार्टी अपने संगठन में भी कुछ फेरबदल करने जा रही है। यह सब कवायद पार्टी को गुटबाजी से दूर करने के लिए की जा रही है।
बीजेपी संगठन में इस वक्त जो नेता काबिज हैं, उनमें से अधिकतर या तो एकदम नए हैं या उन्हें सालों बाद कोई पद मिला है। सबसे बड़ी बात यह है कि पार्टी अध्यक्ष मनोज तिवारी भी ‘बाहरी’ हैं लेकिन दिल्ली में सांसद बनने और निगमों का चुनाव जिताने के बाद पार्टी के लोग उन्हें ‘अपना’ मानने लगे हैं। लेकिन समस्या यह हुई कि जब अध्यक्ष ने अपनी टीम का गठन किया तो उसमें अधिकतर नए नेताओं को लिया गया या ऐसे नेताओं को पद दे दिए गए जो सालों से पार्टी के किसी बड़े पद पर नहीं थे। उनके इस निर्णय को लेकर जब-तब सवाल उठते रहे, लेकिन एमसीडी चुनावों की जीत, बड़े नेताओं के साथ उनका अपनापन और स्टार छवि के चलते कोई बहुत अधिक विरोध नहीं हो पाया। लेकिन अब समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पास इस बात की सूचना पहुंच रही थी कि दिल्ली में पार्टी के सीनियर नेता खाली बैठे हुए हैं और उनसे कोई काम नहीं लिया जा रहा है। मामले की नजाकत को समझते हुए अध्यक्ष ने मनोज तिवारी को इन सभी नेताओं को एडजस्ट करने के आदेश दिए और कहा कि उनका तजुर्बा पार्टी को और मजबूत कर सकता है। सूत्रों के अनुसार इसके बाद तिवारी ने हाल ही में अपने निवास पर सीनियर नेताओं के साथ बैठक की। इन नेताओं में मेवाराम आर्य, हरशरण सिंह बल्ली, जगदीश ममगाई, राजेश गहलोत, कुलवंत राणा, रेखा गुप्ता, विशाखा सैलानी, राधेश्याम शर्मा, हरबंस लाल उप्पल, बीबी त्यागी शामिल थे। लंबी बाताचीत और मान-मनौवल के बाद यह तय हुआ कि सभी सीनियर नेताओं को पार्टी द्वारा बनाई गई कमेटियों (डिपार्टमेंट्स) और प्रकल्पों का अध्यक्ष बनाया जा रहा है। इनमें गुड गवर्नेंस, ट्रेनिंग, इलेक्शन मैनेजमेंट, लीगल मामले, स्वच्छता अभियान, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, संपर्क अभियान आदि शामिल हैं। बताते हैं कि अधिकतर नेताओें ने रजामंदी दिखाई लेकिन कुछ ने खास उत्साह नहीं दिखाया। लेकिन आलाकमान के चलते वे शांत रहे।
सूत्र यह भी बताते हैं कि संगठन को मजबूत करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष अपनी टीम में भी कुछ फेरबदल कर सकते हैं। इनमें उन पदाधिकारियों को हटाने की तैयारी की जा चुकी है जो नगर निगम में बड़ा पद पा चुके हैं। माना यह भी जा रहा है कि उन वरिष्ठ पार्षदों को भी संगठन में पद दिया जा सकता है, जिन्हें निगम में महत्वपूर्ण पद नहीं मिला है। संगठन में जाति और वर्ग विशेष के अनुसार कुछ बदलाव भी किए जाने की संभावना जताई जा रही है।
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