सस्ते पेट्रोल-डीजल से दिल्ली के खजाने को झटका
|सरकार ने वित्त वर्ष 2015-16 में अकेले वैट से ही 24,000 करोड़ रुपये (33 पर्सेंट ज्यादा) वसूली का लक्ष्य रखा है। लेकिन, 31 अगस्त तक विभाग ने 7645.22 करोड़ वसूले हैं जो पिछले साल इसी अवधि में हुई वसूली 6,899.36 करोड़ के मुकाबले सिर्फ 10.81 पर्सेंट ज्यादा है। अप्रैल और मई में जब पेट्रोल-डीजल के दाम ऊपर का रुख कर रहे थे तब विभाग की रेवेन्यू ग्रोथ 37 पर्सेंट तक पहुंच गई थी। बड़े लक्ष्य के मद्देनजर ही जुलाई में दिल्ली सरकार ने वैट अमेंडमेंट करते हुए पेट्रोल-डीजल पर वैट दरों में काफी इजाफा किया था। वैट डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने कहा, ‘टैक्स कलेक्शन की ग्रोथ लक्ष्य के मुकाबले थोड़ा कम जरूर है, लेकिन पॉजिटिव है। पिछले दो महीनों में पेट्रोल-डीजल के बेस रेट में हुई गिरावट से रफ्तार मंद पड़ी है। अगर यह गिरावट जारी रही तो लक्ष्य पूरा करना मुश्किल हो सकता है।’ 1 जुलाई को जहां दिल्ली में पेट्रोल की खुदरा कीमत 66.62 रुपये और डीजल की 50.22 रुपये लीटर थी, 31 अगस्त तक यह क्रमश: 61.20 और 44.45 रुपये प्रति लीटर हो गई। फिलहाल वैट में अकेले-डीजल पेट्रोल से 20 पर्सेंट टैक्स आता है। लेकिन दूसरे मोर्चे पर भी सरकार को राहत मिलती नजर नहीं आ रही। वैट के बाद आय के दूसरे सबसे बड़े स्रोत एक्साइज ड्यूटी से सरकार इस साल 38 पर्सेंट ज्यादा वसूली चाहती है, जबकि पहले पांच महीनों में 16 पर्सेंट कम ड्यूटी मिली है। पिछले साल 31 अगस्त तक 1500 करोड़ वसूली के मुकाबले अभी करीब 1300 करोड़ की वसूली हो पाई है। ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने वित्त वर्ष 2014-15 के पहले पांच महीनों में 616 के मुकाबले 660 करोड़ जुटाए हैं। वित्त विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अभी तक दिल्ली सरकार अपने नॉन-प्लांड बजट का करीब 38 पर्सेंट खर्च कर चुकी है, जबकि प्लांड बजट का 18 पर्सेंट खर्च हुआ है। जानकारों का कहना है कि लक्ष्य से दूर होती कर वसूली के बीच गैर-नियोजित मद में इतना खर्च आगे चलकर सरकार की माली हालत खराब कर सकता है। दिल्ली सरकार का कुल बजट करीब 42000 करोड़ का है, जिसमें 34000 करोड़ टैक्स रेवेन्यू से आने हैं।
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