संवेदनहीन बाबुओं की बदइंतजामी, पैरा-ऐथलीट्स को असुविधाओं में फंसाया
| गाजियाबाद में चल रही 15वीं नैशनल पैरा-ऐथलीटिक चैम्पियनशिप में हिस्सा ले रहे पैरा-ऐथलीट्स (विकलांग खिलाड़ी) को बेहद खराब हालात में रहना पड़ रहा है। पहली बात तो यह कि जिस बिल्डिंग में 600 पैरा-ऐथलीट्स को ठहराया गया है, वह विकलांगों के रहने लायक नहीं है। ऊपर से यहां न तो सुविधाजनक टॉइलट्स हैं और न ही पीने के पानी की सुविधा। बदइंतजामी की इंतहा यह है कि मेल और फीमेल ऐथलीट्स को फर्श पर सोना पड़ रहा है और बाहर ही नहाना पड़ रहा है। यही नहीं, स्पेशल टॉइलट न होने की वजह से उन्हें शौच के लिए खुले में जाना पड़ रहा है। नीचे दी गई तस्वीर में साफ देखा जा सकता है कि खिलाड़ियों को मोबाइल टॉइलट्स इस्तेमाल करने के लिए खिलाड़ियों को वील चेयर से उतरना पड़ेगा। उन्हें पानी तक पहुंचने के लिए भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शनिवार रात टीओआई टीम ने जब इन पैरा-ऐथलीटों के ‘लिविंग क्वॉर्टर्स’ का दौरा किया तो पूरा सच सामने आ गया। टीम ने पाया कि लॉन में खड़े दो टैंकर्स का पानी नहाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है और पीने के लिए भी। इतना ही नहीं, यहां पांच फ्लोर्स पर सिर्फ एक ही टॉइलट की व्यवस्था थी। मूलभूत सुविधाओं की कमी तो थी ही, साफ-सफाई भी देखने को नहीं मिली। जहां ऐथलीट्स को ठहराया गया है, वह जगह एनएच-58 से लगभग 3.5 किलोमीटर की दूरी पर दो गांवों, दुहाई और मटियाला के बीच पड़ती है। खिलाड़ियों ने शिकायत की कि यातायात की सुविधा भी यहां ठीक नहीं है। जानकारी के मुताबिक पीसीआई का कोई प्रतिनिधि भी वेन्यू पर मौजूद नहीं रहता। पैरालिंपिक कमिटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित चैम्पियनशिप 20 से मार्च से शुरू हुई है, जिसका समापन 22 मार्च को होगा। इंग्लिश में पढ़ें: Callous babus put disabled athletes on obstacle course
राजस्थान के 27 साल के पैरा-ऐथलीट महेश नेहरा ने बताया कि फीमेल ऐथलीट्स इसी अव्यवस्था की वजह से दो दिनों से नहाई नहीं हैं। फूड स्टॉल की हालत बयां करते हुए महेश ने बताया कि खाना भी सही नहीं था और उसे ढंग से सर्व भी नहीं किया गया।
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