श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर प्रबंधन गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम में दे सकता है 7.5 टन सोना
|दुनिया के सबसे अमीर मंदिर श्री वेंकटेश्वर स्वामी के प्रबंधन का कामकाज देखने वाली संस्था तिरुमाला तिरुपति देवास्थानम (टीटीडी) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम (जीएमएस) में नई जान फूंक सकती है। दरअसल, टीटीडी अपना 7.5 टन (करीब 6800 किलो) सोना इस स्कीम में लगाने की योजना बना रही है।
बता दें कि टीटीडी ने हाल में ही कहा था कि उसने इस स्कीम के तहत अपना 1.3 टन सोना पंजाब नैशनल बैंक में जमा कराया था। हालांकि, अपना पूरा सोना इस स्कीम में लगाने से पहले टीटीडी ने सरकार से आग्रह किया है कि वह उसके लिए नियमों में कुछ ढील दे।
टीटीडी के एग्जिक्युटिव ऑफिसर डी संबाशिवा राव ने पत्रकारों से कहा, ‘हमारे पास करीब 7.5 टन सोना है और इसका ज्यादातर हिस्सा बैंकों में जमा है। टीटीडी के पास जो सोना है वह विभिन्न स्कीमों के तहत बैंकों में जमा है। हम पूरे सोने को गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम में लगा सकते हैं।’
गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम के तीन मुख्य हिस्से हैं। शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म। शॉर्ट टर्म स्कीम के तहत ब्याज सोने के रूप में निवेशक को दिया जाता है। मीडियम और लॉन्ग टर्म में मूल धन को नकदी या सोने के रूप में अदा किया जा सकता है जबकि 2.5 प्रतिशत की का ब्याज सिर्फ नकदी के रूप में दिया जाता है।
राव ने कहा, ‘मीडियम और लॉन्ग टर्म के तहत हमने सरकार से कहा है कि वह स्कीम के कुछ नियमों में बदलाव करे। हालांकि उन्होंने कुछ नियमों में बदलाव किया है, लेकिन हमने कुछ और नियमों में बदलाव करने की बात कही है। मीडियम और लॉन्ग टर्म के तहत वह 2.5 प्रतिशत का ब्याज देती है। लेकिन उनका कहना है कि मूल धन को नकदी के रूप में लौटाया जाएगा, सोने के रूप में नहीं।
राव ने आगे कहा, ‘हमने आग्रह किया है कि मूल धन को सोने के रूप में लौटाया जाए। हमें कैश नहीं चाहिए। सरकार इस पर सहमत हुई है। लेकिन सोने पर ब्याज का मूल्यांकन उसे जमा कराने के वक्त से किया जाएगा, रिटर्न के वक्त पर नहीं। हमने इस नियम में बदलाव का आग्रह किया है।’
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