‘श्रमिक कल्याण बोर्ड में 2200 करोड़ का घोटाला’
|दिल्ली सरकार के श्रमिक कल्याण बोर्ड पर करोड़ों रुपये के घोटाले के आरोप लगे हैं। दिल्ली विधानसभा के बजट सेशन में विपक्ष के नेता व सदस्य इस कथित भ्रष्टाचार को उठाएंगे और इसकी सीबीआई जांच की मांग करेंगे। विपक्ष का आरोप है कि आप सरकार ने इस बोर्ड के माध्यम से करोड़ों रुपये की ग्रांट गैर श्रमिकों को बांट दी। आरोप यह भी है कि लाभ लेने वाले अधिकतर लोग आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए हैं।
इस मसले को कल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता, विपक्षी सदस्य ओपी शर्मा, जगदीश प्रधान, मनजिंदर सिंह सिरसा उठाएंगे। वे सदन में इस कथित घोटाले की डिटेल जानकारी देंगे और बताएंगे कि किस तरह बोर्ड के जरिए सरकार ने करीब 2200 करोड़ रुपये का घपला किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासनकाल में इस श्रमिक कल्याण बोर्ड का गठन इसलिए किया गया था, ताकि श्रमिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों खासकर इमारत बनाने वाले मजूदरों के जीवनयापन को सुधारा जा सके। लेकिन आप सरकार ने इन गरीबो को आर्थिक रूप से लाभ पहुंचाने के बजाय घपला ही कर दिया।
नेता प्रतिपक्ष के अनुसार सरकार ने बोर्ड के माध्यम से हजारों गैर श्रमिकों को करोड़ों रुपये की ग्रांट बांट डाली, जिसके वे हकदार नहीं थे। उनका आरोप है कि जिन लोगों को आर्थिक मदद पहुंचाई गई, उनमें से अधिकतर आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए कार्यकर्ता या वॉलिंटियर थे। उनका कहना है इनके सबके दस्तावेज उनके पास मौजूद हैं और विपक्ष सदन में मांग करेगा कि इस घोटाले की सीबीआई जांच कराई जाए। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि सदन में विपक्ष की ओर से कामरोको प्रस्ताव भी लाया जाएगा। विपक्ष का आरोप है कि सरकार जानबूझकर एमसीडी को उनका करोड़ों रुपये का बकाया नहीं दे रही है, जिसके चलते नॉर्थ व ईस्ट एमसीडी के कर्मचारियों को वेतन तक नहीं मिल रहा है।
विपक्ष का आरोप है कि सरकार की ओर से सोची-समझी साजिश के तहत एमसीडी को उसका बजट रोका जा रहा है, ताकि उन्हें बदनाम किया जा सके। इसका परिणाम यह हुआ है कि एमसीडी की विकास योजनाएं रुक गई हैं और गरीबों को पेंशन आदि का वितरण नहीं हो पा रहा है। सदन में विपक्ष की ओर से परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का मसला भी उठेगा। विपक्ष पूछेगा कि जब लाभ के पद को लेकर राष्ट्रपति ने गहलोत की विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी है तो वे विभाग की बैठकों में कैसे भाग लेंगे। विपक्ष के अनुसार कल अगर गहलोत सदन में आएंगे तो उनका विरोध होगा और अगर नहीं आएंगे तो सरकार से पूछा जाएगा कि जब उनकी सदस्यता खत्म हो चुकी है तो वह परिवहन विभाग की बैठकों में कैसे भाग ले रहे हैं।
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