शमिताभ : गूंगे अधूरेपन का गीत

आर. बाल्की की अमिताभ बच्चन के साथ ‘चीनी कम’,‘पा’ के बाद ‘शमिताभ’ तीसरी फिल्म है और अमिताभ उनकी सृजन प्रक्रिया की धुरी हैं। फिल्म में लंदन की रॉयल एकेडमी में नायक को सृजन पर भाषण देने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इस दृश्य में बाल्की ने सृजन के खुलासे को खामोश रखा है, केवल श्रोताओं के प्रसन्न चेहरे से अाभास होता है कि भाषण उन्हें अच्छा लगा। इस निजी सृजन प्रक्रिया के बारे में वे कुछ बाेलना नहीं चाहते।   फिल्म भारतीय सिनेमा को आदरांजली के तौर पर बनाई है, जैसा कि पहले गीत में ही स्पष्ट कर दिया है ‘सिनेमा इश्क है, सिनेमा जुनून है’ परन्तु सिनेमा से मौलिकता के लोप का मखौल भी उन्होंने जमकर किया है। मसलन अमिताभ अभिनीत पात्र का यह कहना कि जाे उद्योग अपने लिए मौलिक नाम भी नहीं खोज पाया, उसमें मौलिक कहानियों की उम्मीद कैसे की जा सकती है, क्योंकि हाॅलीवुड से तुक मिलाते हुए बॉलीवुड कहना अपना स्वयं का अपमान करना ही है।    एक गीत के छायांकन का केन्द्र सुंदर प्राकृतिक स्थल पर कमोड के विभिन्न रूप दिखाकर किया है। पैखाने का ऐसा अभिनव प्रयोग साजिद खान…

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