विवादित ढांचा: सुलह की कोशिश पर फिरा पानी, पक्षकार हटने को तैयार नहीं
|अयोध्या के विवादित स्थल को लेकर शुक्रवार को सुलह के प्रयास फिर से दिखे, लेकिन रात होते-होते स्पष्ट हो गया कि बाकी पक्षकार इससे राजी नहीं हैं। उत्तर प्रदेश के मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों के एक दल ने आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर से बेंगलुरु में मुलाकात की थी। मुस्लिम पक्षकार सलमान नदवी ने इस मुलाकात पर कहा था, ‘कोर्ट अपना फैसला लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखकर नहीं करता। हम चाहते हैं कि सभी पक्षों का दिल रखा जाए और सब फैसले से खुश हों।’ नदवी ने विवादित स्थल पर मंदिर और किसी और जगह मस्जिद बनाने को लेकर तीन सुझाव दिए थे, जिन्हें रात तक बाकी पक्षकारों और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने खारिज कर दिया।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने सलमान नदवी का प्रस्ताव ठुकराते हुए साफ किया कि वह भी न्यायालय के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि कोर्ट ही इस मामले पर आखिरी और सर्वमान्य फैसला सुनाएगा और इसे लेकर हमारे रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। बोर्ड ने कहा है कि कोर्ट से बाहर इस मुद्दे पर कोई बात नहीं होनी चाहिए और हम विवादित जमीन किसी को नहीं देंगे।
बाबरी मस्जिद के पक्षकार हाजी महबूब ने भी कहा कि विवादित 277 एकड़ क्षेत्र को छोड़कर राम चबूतरे तक मंदिर बने इसमें हमे कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन विवादित क्षेत्र पर आने वाले फैसले का दोनों पक्षों को इंतजार करना चाहिए। साथ ही जो फैसला कोर्ट सुनाए उसका पालन भी करना चाहिए। हाजी महबूब ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ही इसका सर्वमान्य निर्णय कर सकेगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि सुनवाई जमीन को लेकर ही होगी। यह अच्छी पहल होगी।
अयोध्या में विवादित स्थल हाजी महबूब ने कहा, ‘फैसला जल्द आए यही सबकी मांग है। हाजी ने कहा कि हम मंदिर के विरोधी नही है । अयोध्या मे हजारों की संख्या में मंदिर बनें तो हमें क्या ऐतराज है। जहां तक विवादित क्षेत्र का मामला वह मिल्कीयत के हक का है, जो दस्तावेजों के आधार पर होगा। वहां अब आस्था का मसला नहीं रह जाएगा।’ हाजी ने कहा, ‘लोग तमाम अफवाहें उड़ा रहे हैं। आपसी समझौते को लेकर भी तरह-तरह की बातें हो रही हैं, लेकिन समझौता बिना हम जैसे पक्षकारों को विश्वास में लिए नहीं हो सकता। श्री श्री रविशंकर को भी समझौते के लिए हम लोगों से ही बात करनी पड़ेगी।’
(एएनआई के इनपुट्स के साथ)
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