लातविया से भी कम है भारत का सामाजिक क्षेत्र पर व्यय: स्टडी

मुंबई
भारत का सामाजिक क्षेत्र पर व्यय लातविया और आइसलैंड समेत अपने समकक्ष देशों के मुकाबले काफी कम है। रिजर्व बैंक के मासिक बुलेटिन में प्रकाशित अध्ययन में यह कहा गया है। यह निष्कर्ष भारत समेत 17 देशों के जीडीपी अनुपात के रूप में 2016 में सामाजिक क्षेत्र पर किए गए व्यय के अध्ययन पर आधारित है।

‘केंद्रीय बजट 2018-19: एक आकलन’ शीर्षक से अध्ययन ताजा मासिक बुलेटिन में प्रकाशित हुआ है। रिजर्व बैंक ने हालांकि कहा है कि अध्ययन में कही गईं बातें लेखकों के निजी विचार हैं और संस्थान से यह संबंधित नहीं है। रिजर्व बैंक के आर्थिक और नीति शोध विभाग के एक अधिकारी के दिशानिर्देश में अध्ययन दो शोध अधिकारियों ने तैयार किया है। इसमें कहा गया है कि आयुष्मान भारत कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना शिक्षा प्रणाली में सुधार के साथ स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर व्यय 2018-19 के बजट में 4.6 प्रतिशत बढ़ा है।

अध्ययन के मुताबिक, ‘जीडीपी के संदर्भ में सामाजिक क्षेत्र पर व्यय समकक्ष देशों के मुकाबले काफी कम है। इसमें मुख्य रूप से स्वास्थ्य एवं शिक्षा शामिल हैं।’ जिन अन्य 16 देशों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है, उनमें दक्षिण कोरिया, लातविया, आइसलैंड, इजरायल, आयरलैंड, एस्टोनिया, स्लोवाक गणराज्य, चेक गणराज्य, पोलैंड, हंगरी, स्लोवेनिया, पुर्तगाल, स्पेन, यूनान, इटली और बेल्जियम शामिल हैं। अध्ययन के अनुसार भारत का सामाजिक क्षेत्र पर व्यय 2016 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 7.5 प्रतिशत था, जबकि बेल्जियम में यह 29 प्रतिशत, आइसलैंड में 15.2 प्रतिशत, लातविया में 14.5 प्रतिशत और कोरिया में 10.4 प्रतिशत था।

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