लाइलाज बीमारियों की दवा फैक्ट्री बंद
|ब्रिटिश हुकूमत के दौर के देश के गिनेचुने कारखानों में शामिल गाजीपुर की सरकारी अफीम फैक्ट्री (राजकीय क्षारोद कारखाना) बंद कर दी गई है। नदियों खासकर गंगा में प्रदूषण रोकने के लिए एनजीटी (नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) का जीरो डिस्चार्ज’ फॉर्म्युला लागू न करने के चलते यह नौबत आई। इस फैक्ट्री में अफीम से मारफीन और फिर उसे प्रोसेस कर कफ सीरप से लेकर एनालजेसिक व लाइलाज बीमारियों में कारगर-राहत देने वाली दवाओं के फार्मास्युटिकल इन्ग्रीडियंट (मूल तत्व) का बड़े पैमाने प्रोडक्शन होता रहा।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी घनश्याम कुमार ने अफीम फैक्ट्री में उत्पादन पूरी तरह बंद होने की पुष्टि की है। बताया, साल भर पहले ही एनजीटी ने फैक्ट्री के डिस्चार्ज को रि-साइकिलिंग कर फिर से प्रयोग किए जाने तथा ऑनलाइन मॉनिटरिंग को अनिवार्य कर दिया था। नोटिस भेजने के बाद भी तय समय सीमा में फैक्ट्री प्रबंधन ने एनजीटी के आदेश का पालन नहीं किया। ऐसे में ताला बंदी की कार्रवाई की जाती, इसके पहले ही प्रोडक्शन बंद करने के निर्णय की जानकारी बोर्ड मिली।
इस बात की जांच स्पेशल टीम से कराकर रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी गई है। एनजीटी की कार्रवाई की जद में आए पूर्वांचल के दूसरे बड़े कारखाने नंदगंज डिस्टिलरी (गाजीपुर) में 9 करोड़ की लागत से रि-साइकिलिंग प्लांट लगने से लखनऊ-दिल्ली में ऑनलाइन मॉनिटरिंग हो सकेगी।
कचरा साफ करेंगे कर्मचारी- ओपीएम फैक्ट्री मैनेजर के.सी.वाल्सन ने बताया कि प्रोडक्शन बंद होने से करीब 400 कर्मचारी खाली बैठने की बजाए स्वच्छता अभियान का हिस्सा बनेंगे। फैक्ट्री के 64 एकड एरिया को कचरा मुक्त करने संग चारों तरफ फैले करोड़ों के वेस्ट मटिरियल को एकत्र कराकर उसका निस्तारण किया जाएगा। आगे चलकर कर्मचारियों के बारे में केंद्र सरकार जो निर्णय लेगी उस अनुसार कदम उठाए जाएंगे।
1820 में बनी फैक्ट्री- गाजीपुर अफीम फैक्ट्री देश के सबसे पुराने कारखानों का तमगा हासिल करने वाली सूची में शामिल है। नीमच के बाद 1820 में बनी यह दूसरी सरकारी ओपीएम फैक्ट्री है। यहां दवाएं बनाने के लिए जरूरी कोडीन, नॉस्काफिन, डयोरिन, थेबेन जैसे दर्जनभर से ज्यादा इंग्रेडियंट तैयार किए जाते रहे। दवा कंपनियों की डिमांड पूरी करने को कुछ महीनों पहले ही फैक्ट्री में नया प्लांट लगाया गया। इससे तीन शिफ्टों में फैक्ट्री चला क्रूड अफीम की चार्जिंग से बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन हो रहा था।
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