लंदन मेयर चुनाव में भी चल रहा है मोदी कार्ड, पहला मुस्लिम बन सकता है मेयर
|लंदन मेयर के चुनाव की एक बहुत ही रोचक तस्वीर सामने आई है। भारत के पीएम नरेंद्र मोदी के नाम का इस्तेमाल लंदन मेयर के चुनाव के दौरान भी हो रहा है। ऐसा क्यूं हो रहा है, इसकी कहानी आपको बताएंगे। लेकिन, मेयर चुनाव में स्थानीय आकलनों से जो तस्वीर उभर कर सामने आ रही है, उससे ऐसा माना जा रहा है कि पहली बार कोई मुस्लिम मेयर बन सकता है।
पाकिस्तानी मूल के सादिक खान लंदन के नए मेयर बन सकते हैं। कंजरवेटिव पार्टी के उनके प्रतिपक्षी जैक गोल्डस्मिथ पीएम नरेंद्र मोदी के नाम का इस्तेमाल उनके खिलाफ चुनाव प्रचार में कर लंदन के हिंदू और सिख मतदाओं को रिझाने की कोशिश में जुटे हैं। इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स में गुरुवार को वोटिंग से तय हो जाएगा कि लंदन का अगल मेयर कौन होगा।
हालांकि, अधिकतर संकेत 45 साल के लेबर सांसद सादिक खान की जीत की तरफ इशारा कर रहे हैं। सादिक खान 2005 से टूटिंग से लेबर पार्टी के सांसद हैं। अगर उनकी जीत हुई तो एक पूर्व बस चालक का बेटा यूरोप का सबसे ताकतवर मुस्लिम नेता बन सकता है।
2009-10 में ब्राउन की सरकार में सादिक परिवहन मंत्री भी रह चुके हैं। वह ब्रिटेन के ऐसे पहले मुस्लिम मिनिस्टर हैं, जो कैबिनेट की बैठकों में शामिल हुए हैं। एक YouGove पोल ने पहले चॉइस के वोट में लेबर कैंडिडेट यानी सादिक को 16 पॉइंट्स की बढ़त दी है। इसमें सादिक को 48 फीसदी लोगों ने पसंद किया है, जबकि उनके प्रतिपक्षी गोल्डस्मिथ को 32 फीसदी लोगों ने।
सेकंड चॉइस के लिए किए गए पोल में सादिक और आगे निकलते दिख रहे हैं। इसमें जहां 60 फीसदी लोग सादिक के पक्ष में हैं, वहीं गोल्डस्मिथ के पक्ष में 40 फीसदी लोग हैं। गोल्डस्मिथ की तरफ से किए जा रहे प्रचार में उनकी तस्वीर भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी के स्वागतकर्ता के तौर पर पेश की जा रही है।
चुनाव प्रचार में कहा जा रहा है कि गोल्डस्मिथ ने पीएम डेविड कैमरन के साथ भारत के पीएम नरेंद्र मोदी का स्वागत किया था। प्रचार में यह भी बताया जा रहा है कि सादिक खान ने मोदी को ब्रिटेन में आने से रोकने की कोशिश की और पिछले साल मोदी के कार्यक्रम में शामिल भी नहीं हुए।
फाइनैंसल टाइम्स के मुताबिक मुस्लिम समूहों ने शिकायत की है कि चुनाव प्रचार का यह स्तर काफी गिरा हुआ है। उनका कहना है कि कंजरवेटिव प्रत्याशी नस्लीय तनावों का इस्तेमाल अपने पक्ष में करना चाहते हैं।
चुनाव प्रचार की पुस्तिकाओं में हिंदू, सिख और तमिल वोटरों के मुताबिक विषय रखे गए हैं। इसमें नरेंद्र मोदी, 1984 सिंख दंगा और श्रीलंका का गृह युद्ध भी शामिल किया है। मुस्लिम असोसिएशन ऑफ ब्रिटेन का कहना है कि ऐसा देखना दुखद है कि कुछ कैंडिडेट समर्थन हासिल करने के लिए इस्लाम और मुस्लिमों के खिलाफ भी बोल रहे हैं।
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