रेखा की मां पुष्पावली की ट्रेजिक लाइफ:14 की उम्र में शादी की फिर हीरोइन बनीं, शादीशुदा जेमिनी गणेशन ने धोखा दिया तो पाई-पाई को तरसीं
|आज अनसुनी दास्तानें में कहानी रेखा की मां पुष्पावली की जो कि खुद साउथ की एक्ट्रेस थीं। पुष्पावली तमिल और तेलुगु सिनेमा की चर्चित स्टार थीं लेकिन इनकी लाइफ ट्रेजडी से भरी रही। घर चलाने के लिए छोटी उम्र में ही उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। 1947 में आई फिल्म ‘मिस मालिनी’ में पुष्पावली पहली बार हीरोइन बनकर परदे पर उतरीं और छा गईं। इसी फिल्म की शूटिंग के दौरान उनकी मुलाकात साउथ एक्टर जेमिनी गणेशन से हुई। पुष्पावली और जेमिनी गणेशन की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री असल जिंदगी में रोमांस में बदल गई। कई मुश्किलों के बावजूद दोनों ने रिश्ता नहीं तोड़ा और पुष्पावली दो बच्चों की मां बन गईं। बॉलीवुड एक्ट्रेस रेखा जेमिनी गणेशन और पुष्पावली की बड़ी बेटी हैं। दो बच्चों के जन्म के बावजूद जेमिनी ने कभी पुष्पावली को अपनी पत्नी का दर्जा नहीं दिया और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया। पुष्पावली ने अकेले के दम पर बच्चों को पाला और जरूरत पड़ने पर 14 साल की रेखा को भी फिल्मों में काम करवाने से नहीं हिचकिचाईं। चलिए नजर डालते हैं पुष्पावली की ट्रेजिक लाइफ की कहानी पर… पुष्पावली का जन्म 3 जनवरी 1926 को आंध्रप्रदेश के गोदावरी जिले, पेंटापडू गांव में हुआ था। उनका असली नाम कंडाला वेंकट पुष्पावली तयारम्मा था। फिल्मों में उनकी शुरुआत एक चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर हुई। पुष्पावली ने फिल्म ‘संपूर्ण रामायणम’ में 10 साल की उम्र में सीता के बचपन का किरदार निभाया था। ये फिल्म 8 अगस्त, 1936 को रिलीज हुई थी। पुष्पावली को इस फिल्म में सिर्फ तीन दिन काम करने के लिए 300 रुपए की फीस दी गई थी जो उस जमाने के हिसाब से काफी ज्यादा थी। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट छोटे-मोटे रोल किए। पुष्पावली के माता-पिता गरीब थे इसलिए उन्होंने कम उम्र में ही बेटी से काम करवाना शुरू कर दिया। चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर पुष्पावली की जो भी कमाई होती थी, उससे पूरे परिवार का खर्चा चलता था। यही वजह रही कि पुष्पावली कभी स्कूल नहीं जा पाईं क्योंकि उनका ज्यादातर समय फिल्मों के सेट्स पर ही बीतता था। 14 साल की उम्र में हो गई शादी पुष्पावली का बचपन अभी बीता भी नहीं था कि 14 साल की उम्र में उनकी शादी कर दी गई। 1940 में उनकी शादी आई.वी रंगचारी नाम के एक वकील से हुई। शादी के बावजूद पुष्पावली ने फिल्मों में काम करना बंद नहीं किया। 16 साल की उम्र में उन्होंने 1942 में आई तेलुगु फिल्म ‘बाला नागम्मा’ से सपोर्टिंग रोल निभाने शुरू किए। पुष्पावली के पति और ससुराल वालों को उनके फिल्मों में काम करने पर सख्त ऐतराज था। इसी वजह से पुष्पावली और उनके पति रंगचारी के रिश्तों में दरार आने लगी। शादी के बाद पुष्पावली दो बच्चों की मां बनीं। 1946 में उनकी और रंगचारी की शादी टूट गई। दोनों अलग रहने लगे लेकिन तलाक नहीं लिया। निजी जिंदगी की उथल-पुथल का असर पुष्पावली ने अपने काम पर नहीं पड़ने दिया। 1946 तक पुष्पावली छोटे-मोटे रोल करके फिल्मों में स्ट्रगल करती रहीं लेकिन उनकी किस्मत खुली 1947 में। 1947 में फिल्म ‘मिस मालिनी’ के जरिए उन्होंने बतौर हीरोइन अपना डेब्यू किया। इस फिल्म में उनके हीरो जेमिनी गणेशन थे जिनकी ये पहली फिल्म थी। फिल्म बॉक्स-ऑफिस पर कोई कमाल नहीं दिखा पाई लेकिन जेमिनी और पुष्पावली की रोमांटिक केमिस्ट्री को काफी पसंद किया गया। जेमिनी और पुष्पावली 1948 में आई फिल्म ‘चक्रधारी’ में फिर साथ काम करते नजर आए। इस फिल्म में पुष्पावली लीड रोल में थीं जबकि जेमिनी गणेशन को बेहद छोटा रोल दिया गया। इस फिल्म के बाद गेम पलट गया और गणेशन बड़े स्टार बन गए। वहीं, पुष्पावली को केवल सपोर्टिंग रोल ही ऑफर होने लगे। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बतौर हीरोइन उन्होंने जिन भी फिल्मों में काम किया वो फ्लॉप होने लगी थीं। उन्होंने कुछ और फिल्मों में गणेशन के साथ काम किया। फिल्मों में साथ काम करते-करते पुष्पावली और जेमिनी गणेशन के बीच नजदीकियां बढ़ती गईं। दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे। शादीशुदा और दो बच्चों की मां होने के बावजूद पुष्पावली जेमिनी के प्यार में पागल हो गईं। वहीं जेमिनी भी शादीशुदा होकर पुष्पावली से अफेयर कर बैठे। जेमिनी की पहली शादी अलामेलू नाम की लड़की से कम उम्र में हो गई थी। पुष्पावली के प्यार में पड़ने के बावजूद जेमिनी ने अपनी पत्नी को नहीं छोड़ा। जेमिनी के साथ रिलेशनशिप में रहते हुए पुष्पावली प्रेग्नेंट हो गईं और बेटी को जन्म दिया। ये थीं भानुरेखा गणेशन यानी रेखा। पहली बेटी के पैदा होने के कुछ समय बाद पुष्पावली फिर जेमिनी के बच्चे की मां बन गईं। इस तरह उनकी दो बेटियां हुईं। पुष्पावली चाहती थीं कि जेमिनी उनसे शादी करके घर बसा लें और उनके बच्चों को अपना लें लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जेमिनी गणेशन ने फेर लिया मुंह जेमिनी ने पुष्पावली को सब कुछ दिया, लेकिन अपना नाम नहीं दे पाए। यही कारण रहा कि जब रेखा का जन्म हुआ तो उन्हें जेमिनी और पुष्पावली की नाजायज बेटी कहा गया। नतीजतन रेखा का बचपन पिता के प्यार के बिना गुजरा। रेखा की स्कूलिंग मद्रास के कॉन्वेंट स्कूल में हुई, वहीं जहां जेमिनी गणेशन और उनकी पहली पत्नी के बच्चे पढ़ते थे। जेमिनी रोज अपने बच्चों को लेने जाते, लेकिन वो रेखा को नजरअंदाज कर देते थे। इसी बीच जेमिनी का अफेयर को-स्टार सावित्री के साथ शुरू हो गया। दोनों ने गुपचुप शादी भी कर ली। जेमिनी के इस तरह मुंह फेरने से पुष्पावली टूट गईं। उन्होंने जेमिनी के साथ अपने सारे रिश्ते तोड़ दिए। परिवार की जिम्मेदारियां उन्हीं के कंधों पर आ गई। पहली शादी से हुए दो बच्चों और दोनों बेटियों को अकेले पालना पुष्पावली के लिए मुश्किल होने लगा। पुष्पावली फिर फिल्मों में संघर्ष करने लगीं हालांकि उन्हें छोटे-मोटे रोल के अलावा कुछ नहीं मिला लेकिन उनके पास कोई और रास्ता नहीं था। पुष्पावली का ज्यादातर वक्त सेट पर ही बीतता इसलिए वह बेटियों रेखा और राधा को अपनी मां के पास देखरेख के लिए छोड़ देती थीं। घर चलाने में रेखा ने की मदद पुष्पावली के फिल्मों में डाउनफॉल का असर उनकी फैमिली लाइफ पर काफी पड़ा। दोनों बेटियों की परवरिश उनके लिए दिन-ब-दिन मुश्किल होती जा रही थी। जब पुष्पावली पाई-पाई की मोहताज हो गईं तो ऐसे में उन्होंने बेटी रेखा को कम उम्र में फिल्मों में उतार दिया। मां के कहने पर 14 साल की उम्र में रेखा ने फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। हालांकि वो इस फील्ड में नहीं आना चाहती थीं, लेकिन परिवार की मजबूरी उन्हें खींच लाई। पुष्पावली ने कर ली दूसरी शादी उधर फिल्मों में काम करते हुए पुष्पावली की मुलाकात मद्रास के सिनेमैटोग्राफर के. प्रकाश से हुई। के. प्रकाश और पुष्पावली धीरे-धीरे करीब आने लगे और नतीजतन इन्होंने शादी कर ली। शादी के बाद पुष्पावली ने अपना नाम के.पुष्पावली कर लिया। शादी के बाद वो दो और बेटियों की मां बनीं। इस तरह उन्होंने 2 शादियों और एक अफेयर से 6 बच्चों को जन्म दिया। इनमें दो बच्चे बाबजी और रामा आई.वी रंगाचारी और पुष्पावली की संतान थे। रेखा और राधा जेमिनी गणेशन और पुष्पावली की संतान थीं जबकि सेषु और धनलक्ष्मी को पुष्पावली ने के.प्रकाश से शादी के बाद जन्म दिया। तीन हिंदी फिल्मों में भी किया काम पुष्पावली ने तमिल और तेलुगु फिल्मों के अलावा तीन हिंदी फिल्मों में भी काम किया। इनमें मधुबाला की ‘बहुत दिन हुए’, अशोक कुमार की फिल्म ‘गृहस्थी’ और फिल्म संसार शामिल थीं। तीनों ही फिल्मों में पुष्पावली को छोटे किरदारों में ही देखा गया। 1969 में आई तेलुगु फिल्म ‘बंगारू पंजारम’ पुष्पावली की आखिरी फिल्म साबित हुई। इसके बाद उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री छोड़ दी और किसी फिल्म में काम नहीं किया। मां को देवी मानती थीं रेखा अपनी मां पुष्पावली की तारीफ करते हुए रेखा ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मां मेरी मेंटर थीं, उन्हें देखकर मुझे लगता था कि जैसे वो देवी हैं। उन्होंने मुझे प्यार और सौम्यता से जीवन जीना सिखाया। वो मुझसे हमेशा कहती थीं कि तुम अपनी आंखों की चमक को खोने नहीं देना। रेखा ने इंटरव्यू में ये भी बताया था कि उनकी मां ने उन्हें जीवन जीने के क्या मंत्र दिए थे। रेखा ने कहा, ‘उन्होंने हमेशा मुझे सिखाया कि मौलिकता पर जोर दो। वो करो जो दिल चाहे। वो नहीं जो दूसरा तुम पर थोपे।’ फिल्मों और सितारों की ये अनसुनी दास्तानें भी पढ़िए- मलयाली सिनेमा की मर्लिन मुनरो विजयाश्री:शूटिंग में कपड़े उतरे तब भी होती रही रिकॉर्डिंग, सीन फिल्म में डाला तो की आत्महत्या मलयाली सिनेमा की सबसे खूबसूरत अदाकारा कही जाने वाली एक्ट्रेस विजयाश्री। मलयाली फिल्म इतिहासकारों की मानें तो विजयाश्री इस कदर खूबसूरत थीं कि चाहनेवाले फिल्में नहीं उन्हें देखने के लिए सिनेमाघरों तक खिंचे चले आते थे। उनकी तुलना हॉलीवुड की पिन-अप गर्ल्स रीटा हेवर्थ से होती थी। साथ ही मौत के 50 साल बाद आज भी उन्हें मलयाली सिनेमा की मर्लिन मुनरो कहा जाता है। पूरी स्टोरी पढ़ें…