राजा बनने पर 775 कमरे वाले बकिंगम पैलेस में नहीं रहना चाहते प्रिंस चार्ल्स
|ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स का महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के उत्तराधिकारी बनने के बाद भी बकिंगम पैलेस में आने का कोई इरादा नहीं है। उन्हें 775 कमरों वाले इस बड़े घर में कोई दिलचस्पी नहीं है। ब्रिटिश मीडिया की खबरों में यह दावा किया गया है। खबर के मुताबिक वह अपने लंदन के घर क्लेरेंस हाऊस में बहुत आरामदायक स्थिति में हैं और उनकी पत्नी कैमिला भी यही चाहती हैं।
‘द संडे टाइम्स’ ने शाही परिवार के अंदरनी सूत्रों के हवाले से कहा है कि वेल्स के प्रिंस किंग बनने पर लंदन के ऐतिहासिक शाही घर को छोड़ देना चाहते हैं। दरअसल, उन्हें 775 कमरों के इस महल में रहना आधुनिक जीवन के हिसाब से ठीक नहीं लग रहा है। आपको बता दें कि फिलहाल बकिंगम पैलेस में मरम्मत का काम चल रहा है ताकि उसे रहने लायक बनाया जा सके। इस मरम्मत के काम में करीब 37 करोड़ पाउंड यानी लगभग 3217 करोड़ रुपये खर्च होंगे। 1950 के दशक के बाद यह अब तक का सबसे बड़ा मरम्मत कार्य है।
खबर के मुताबिक प्रिंस चार्ल्स इस महल को राजवंश हेडक्वॉर्टर के रूप में परिवर्तित करने की योजना पर विचार कर रहे हैं। ब्रिटेन के 68 वर्षीय राजकुमार को लगता है कि महल को आम लोगों के लिए खोला जाना व्यावसायिक रूप से ज्यादा सुसंगत होगा। फिलहाल यह महल जुलाई से अक्टूबर के बीच में आम लोगों के लिए खुलता है जब महारानी अपनी सालाना छुट्टियां मना रही होती हैं।
बकिंगम पैलेस सन् 1837 से ही ब्रिटिश राजघराने का आधिकारिक आवास रहा है, जब क्वीन विक्टोरिया यहां रहने आईं थीं। इसका असली नाम बकिंगम हाउस था और इसे 1703 ई. में बनवाया गया था। 1761 ई. में किंग जॉर्ज तृतीय ने इस पर अधिकार जमा लिया था।
मौजूदा समय में इस पैलेस में महारानी और प्रिंस फिलिप रहते हैं। वहीं बाकी पूरा परिवार दूसरे अपार्टमेंट्स में रहता है। महल में स्टाफ और शाही परिवार के कई सदस्यों का ऑफिस है। अखबार के मुताबिक चार्ल्स ने कथित तौर पर अपने कर्मचारियों से कहा है कि वह महल में नहीं रहना चाहते हैं। वह महल को बड़ा घर बताते हैं।
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