रांची में अभिनेता का इलाज करने वाले डॉक्टर अहमद बोले- पहली बार में सुसाइड कर लेने की बात पर यकीन करना असंभव सा लगता है
|झारखंड के रांची शहर में इन दिनों कोविड-19 पेशेंट का इलाज कर रहे क्रिटिकल केअर स्पेशलिस्ट डॉ. रजी अहमद कभी सुशांत सिंह राजपूत का भी इलाज कर चुके हैं। ये बात साल 2016 की है, जब सुशांत वहां फिल्म 'एमएस धोनी' की शूटिंग के लिए पहुंचे थे।
डॉ. रजी ने जब से सुशांत के सुसाइड करने की खबर सुनी है, तब से यह बात उनके गले नहीं उतर रही है। दैनिक भास्कर के साथ खास बातचीत में उन्होंने सुशांत से जुड़ी अपनी यादें ताजा कीं।
सवाल- डॉ. साहब सबसे पहले अपना परिचय दीजिए?
डॉ अहमद- 'मेरा पूरा नाम डॉ. रजी अहमद है और मैं क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट हूं। रांची, झारखंड में रहता हूं। एक डायलिसिस यूनिट भी है, उसे भी देखता हूं।'
सवाल- सुशांत सिंह राजपूत से मुलाकात कब और कैसे हुई?
डॉ अहमद- 'साल 2016 में 'एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी' फिल्म की शूटिंग मेकॉन ग्राउंड के आसपास के एरिया में चल रही थी। वे काफी दिन यहां पर रहे, पर बहुत लोगों को पता नहीं था कि यहां पर शूटिंग चल रही है। एक दिन अर्ली मॉर्निंग मुझे फोन आया कि मुझे सुशांत को देखने जाना है। मैं थोड़ा कंफ्यूज हो गया कि सुशांत कौन है? मैं अपने किसी पेशेंट के बारे में सोच रहा था। फिर मुझे ध्यान आया कि यहां पर 'एमएस धोनी' की शूटिंग चल रही है और सुशांत को देखने की बात कह रहे हैं।'
सवाल- वो किसका फोन आया था?
डॉ अहमद- 'उन्हें देखने जाने के लिए फिल्म की यूनिट का फोन आया था। घर से जाते वक्त रास्ते में सोच रहा था कि इतने बड़े स्टार हैं, पता नहीं टैंट्रम शो करेंगे, ठीक से मिलेंगे कि नहीं मिलेंगे, देखने देंगे या नहीं। लेकिन जब सुशांत से मिला तो मेरा सारा शक दूर हो गया। वे बहुत डाउन टू अर्थ और बड़े हंबल थे। अच्छे से चेक भी करने दिया। पूछ भी रहे थे कि कैसे दवा खानी है।'
सवाल- उस समय उन्हें क्या तकलीफ हुई थी?
डॉ अहमद- 'उनको बेसिकली अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन हुआ था। सिंपल लैंग्वेज में कहें तो फ्रूट का माइल्ड चेस्ट इंफेक्शन और थोड़ा गले में इंफेक्शन था। सर्दी का समय था तो उन्हें हो गया था। मैंने उन्हें देखा और मेडिसिन दी। थोड़ा फॉलो किया, जिसके लिए दो-तीन बार उनसे मिला। इलाज के बाद तो उन्होंने आराम से शूट किया था। फिर उन्हें कोई दिक्कत नहीं हुई।'
सवाल- उनसे कितनी बार और कहां पर मिले थे?
डॉ अहमद- 'दो बार सेट पर मिला था, जबकि एक बार होटल रैडिसन ब्लू, रांची में देखने गया था। जहां पर वे ठहरे हुए थे। उनसे मुलाकात हुई, तब वे नेट प्रैक्टिस कर रहे थे। उन्हें सलाह के तौर पर बताया कि कुछ समय रेस्ट कीजिए। जब दवा वगैरह देकर सब कुछ उन्हें समझा दिया, तो उन्होंने बड़ी पोलाइटली मुझसे पूछा कि डॉक्टर साहब कितनी फीस हुई?'
'तो मैंने उनसे कहा कि मुझे फीस नहीं चाहिए… आप सिर्फ एक फोटोग्राफ मेरे साथ खिंचवा लीजिए, वही मेरी फीस होगी। उन्होंने बड़ी खुशी-खुशी मेरे साथ फोटो खिंचवाए। वो फोटो आज भी मेरे पास है। फोटो देखकर विश्वास नहीं होता कि यह आदमी आज हमारे बीच में नहीं है।'
सवाल- उनसे और क्या बातें हुई थी?
डॉ अहमद- 'उस समय उनको रांची स्थित पलामो फोर्ट के इतिहास के बारे में मोटा-मोटा बताया था। उस समय मैं 'द सीक्रेट ऑफ द पलामो फोर्ट' बुक लिख रहा था, जो अब प्रकाशित हो चुकी है। उस समय मैंने उनसे पूछा था कि अगर रांची, झारखंड पर और अच्छी स्टोरी मिले तो क्या उस पर एक्ट करना चाहेंगे? उन्होंने कहा था कि अगर अच्छी स्टोरी मिलेगी तो क्यों नहीं प्ले करेंगे।'
सवाल- आप सुशांत का इलाज कर चुके हैं। उनकी मौत की खबर कब और किससे सुनी?
डॉ अहमद- 'मैं हॉस्पिटल में ही था, चूंकि घर पर सबको पता था कि उनका ट्रीटमेंट कर चुका हूं तो जब कभी वे टीवी पर दिखाई देते थे तो घरवाले कहते थे कि देखो तुम्हारा फ्रेंड आ गया। फिलहाल घर से मम्मी का फोन आया था कि सुशांत सिंह के बारे में इस तरह से टीवी पर दिखा रहे हैं। यह खबर सुनकर मुझे लगा कि यह जोक है। उसके बाद भाई का भी मैसेज आया। तब मैंने ऑनलाइन चेक किया तो पोर्टल की न्यूज़ में पढ़ा, तब पता चला कि यह खबर सही है।'
सवाल- आपको क्या लगता है क्या वे सचमुच डिप्रेशन जैसी किसी समस्या से जूझ रहे होंगे?
डॉ अहमद- 'हां, 2016 में उनसे जो दो-तीन मुलाकाते हुई थीं, उस आधार पर कह सकता हूं कि ऐसा बिल्कुल नहीं था कि उन्हें इस तरह की प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। जितना देखा था, उस बिना पर कह सकता हूं कि वे हर चीज पर बहुत ध्यान देते थे। हर आदमी को बड़े अच्छे से ट्रीट करते थे। अब सुनने में आ रहा है कि उन्हें बाइपोलर डिसऑर्डर था, उसकी दवा चल रही थी। अगर यह किसी को होता है तो उसका मन काम में नहीं लगता है या बहुत ओवर एक्टिविटी हो जाता है। लेकिन उस समय उनमें इस तरह की कोई चीज देखने को मिली नहीं।
आगे उन्होंने कहा, 'यह बात मानना बहुत ज्यादा मुश्किल लगता है कि उन्हें इस तरह की कोई प्रॉब्लम थी। अगर इस तरह की कोई प्रॉब्लम थी तो उसका एक प्रॉपर रिकॉर्ड होना चाहिए। ऐसे केस में उनकी फैमिली को मालूम होना चाहिए था, क्योंकि इसमें जो दवा वगैरह देते हैं तो उससे ज्यादा नींद आने लगती है। अगर कोई दवा खाता है तो फैमिली को मालूम होना चाहिए कि इसकी क्या वजह है। अब पता नहीं कि यह बात उनकी फैमिली को पता थी कि नहीं।'
अबतक भरोसा नहीं हो पा रहा है
डॉ अहमद- 'आजकल उनके बारे में हर दिन एक नई चीज सुनने-पढ़ने को मिल रही है। बातों को लेकर बहुत कन्फ्यूजन हो गया है। लेकिन पहली बार में सुसाइड कर लेने की बात को मानना इम्पॉसिबल लगता है। उन्होंने सुसाइड कर लिया, आज तक इस बात पर भरोसा नहीं हो पा रहा है।'