यहां ऐसे खुले में छोड़ देते हैं डेड बॉडी, खुद काट-काटकर खिलाते हैं गिद्धों को

इंटरनेशनल डेस्क. हजार साल पहले सूडान में रहने वाले भिक्षु भी अंतिम संस्कार के लिए लाशों से मांस हटा देते थे। सीमेंट्री में मिलने वाले कंकाल से इसके सबूत मिले हैं। अंतिम संस्कार की इससे खतरनाक परंपरा तिब्बत, किंगघई और मंगोलिया में है। तिब्बत के रिलीजियस टाउन लारुंग वैली इस प्रथा के लिए चर्चा में भी रहती है। यहां अंतिम संस्कार के लिए शव को काटकर खुले आसमान के नीचे गिद्धों के लिए छोड़ दिया जाता है। बॉडी के पास मौजूद रहते हैं रिलेटिव्स…   इस दौरान मृतक के रिलेटिव्स भी यहां इकट्ठा होते हैं। उनका मानना है कि इस तरह उन्हें जन्नत नसीब होती है। ज्यादातर तिब्बती और मंगोलियाई वज्रायन बौद्ध धर्म को मानते हैं। इस धर्म में आत्मा के शरीर बदलने (ट्रांसमाइग्रेशन) की बात कही गई है। इसका मतलब ये है कि उन्हें शरीर को सुरक्षित कर रखने की जरूरत महसूस नहीं होती। मौत के बाद शरीर उनके लिए एक खाली बर्तन की तरह है, जिसे खत्म करने के लिए इसे खुले आसमान के नीचे छोड़ दिया जाता है।   क्या है मान्यता? माना जाता है कि गिद्ध ही दाकिनी (तिब्बतियों के लिए फरिश्ते की तरह) हैं,जो…

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