मो. शाहिद जैसा टैलंटेड खिलाड़ी, ऊपर वाला ही देता हैः जफर इकबाल
|दो दिन पहले हॉकी के भारतीय दिग्गज और ड्रिब्लिंग के उस्ताद मोहम्मद शाहिद हमारे बीच से चले गए। इस दिग्गज खिलाड़ी के सहयोगी और दोस्त रहे जफर इकबाल इस कमी से जूझने की कोशिश कर रहे हैं। इन हालात में भी 80 के अपने और भारतीय हॉकी के स्वर्णिम दशक की हॉकी हाथ में लेते हुए और शाहिद की यादों पर बात करते हुए उनके चेहरे पर एक स्वाभाविक सी मुस्कान आ जाती है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के दफ्तर में हुए इंटरव्यू में पूर्व कप्तान और कोच जफर इकबाल ने शाहिद के बारे में बात करते हुए कहा, ‘इतना टैलंटेड प्लेयर तो ऊपर वाला ही देता है। शाहिद के विरोधी हमेशा इस बात के अचरज में रहते थे कि शाहिद को रोका कैसे जाए।’
इकबाल ने बताया कि शाहिद का खेल तेज गति और ड्रिबल पर टिका हुआ था और उनकी इसी असाधारण शैली ने पूरे देश में लोगों को उनका फैन बना डाला था। यह दौर विशेष रूप से 1980 के दशक का था, जब लोगों का आकर्षण क्रिकेट के साथ-साथ हॉकी की तरफ भी बढ़ रहा था। गौरतलब है कि 1983 में ही भारत ने हॉकी वर्ल्ड कप भी जीता था। जफर और शाहिद की जोड़ी हॉकी कै मैदान पर काफी मशहूर रही है।
जफर मानते हैं, ‘मैदान किस तरह का है, इससे शाहिद को कोई फर्क नहीं पड़ता था। उन्होंने जो शॉट्स निकाले थे, उन्हें आने वाले समय में हम कभी दोहरा तक नहीं सके। मैच के 70 मिनट शुरू होने से पहले ही शाहिद विरोधियों की स्थिति का अंदाजा लगा लेते थे।’
आपने शाहिद से क्या सीखा, इस सवाल पर तुरंत जवाब देते हुए जफर ने कहा, ‘मुझे एक महान खिलाड़ी के साथ खेलने का मौका मिला। हम दोनों के बीच में कमाल की समझ थी। हम मैदान पर ही विमर्श करके, अपने अनूठे संकेतों में बात कर लेते थे।’
जफर ने बताया कि रिटायरमेंट के बाद शाहिद ने शायद ही कभी अपना घर, बनारस छोड़ा हो। शाहिद ने कभी लक्ष्मण-रेखा पार नहीं की। यह उनकी मानसिकता थी। हालांकि, कुछ समस्याओं ने उन्हें काफी परेशान किया।
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