मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, जनवरी तक 5400 करोड़ अघोषित आय का पता लगाया
|सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि पिछले साल नवंबर में नोटबंदी के लागू होने से लेकर 10 जनवरी तक कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने 5400 करोड़ रुपए की ‘अघोषित आय’ का पता लगाया है। सरकार ने नोटबंदी के बाद ‘विभिन्न गड़बड़ियों’ का भी जिक्र किया जिसमें सोना खरीदने के लिए पुराने नोटों का प्रयोग शामिल है।
कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा छापेमारी और बरामदगी की जानकारी देते हुए सरकार ने कहा कि 9 नवंबर से 30 दिसंबर 2016 के बीच नोटबंदी काल के बाद आयकर विभाग ने 31 जनवरी को इस दौरान जमा नकदी के ई-सत्यापन हेतु डेटा विश्लेषण के लिए ‘ऑपरेशन क्लीन मनी’ शुरू किया। वित्त मंत्रालय ने हफलनामा में कहा कि 9 नवंबर 2016 से 10 जनवरी 2017 के बीच ही आयकर विभाग ने विभिन्न लोगों पर 1100 से अधिक छापे मारे या सर्वेक्षण किए। उन्होंने कहा कि इस दौरान ‘बैंक खातों में जमा बड़ी राशि की संदिग्ध नकदी’ के सत्यापन हेतु 5100 से अधिक नोटिस जारी किये गए।
हलफनामे में कहा गया, ‘छापे और अन्य कड़े कदम लागू करने के परिणामस्वरूप, आयकर विभाग और अन्य सरकारी एजेंसियों ने 610 करोड़ रुपए से अधिक की नकदी (इसमें 513 करोड़ रुपए की नकदी जिसमें से 110 करोड़ रुपए की नई करंसी शामिल है) और कीमती वस्तुएं जब्त कीं।’
इसमें कहा गया, ‘इन कार्रवाइयों में पता लगाई अघोषित आय 5400 करोड़ रुपए से अधिक की है।’ इसमें कहा गया कि 1100 छापों और सर्वेक्षणों में से 400 से अधिक मामले कानून के अनुरूप आगे की कार्रवाई के लिए प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई को भेजे गए।
हलफनामे के अनुसार इस अभियान से करीब 18 लाख लोगों की ऑनलाइन सत्यापन के लिए पहचान हुई जो करदाता प्रोफाइल के अनुरूप नजर नहीं आए। फिलहाल 8.38 लाख अलग-अलग पैन, लोगों से 12 लाख से अधिक आनलाइन प्रतिक्रिया मिली हैं। हलफनामे में कहा गया कि अगर उचित स्पष्टीकरण दिया जाता है तो उचित विश्लेषण और जांच के बाद सत्यापन बंद किया जा रहा है। इसी तरह से जहां प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में धनराशि जमा की गई है तो भी सत्यापन बंद किया जा रहा है। इसमें कहा गया कि करीब 18 लाख अति जोखिम वाले मामलों में से 3.78 लाख से अधिक का पता लगाया है और आकलन एवं जांच के लिए इन्हें लिया गया है।
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