मोदी के चीन दौरे से पहले BRI पर नहीं मिला भारत का समर्थन
|भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की मीटिंग के आखिरी दौर में चीन भारत से अपने महत्वकांक्षी बेल्ट ऐंड रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट के लिए समर्थन हासिल करने में विफल रहा। बता दें कि इस हफ्ते ही पीएम मोदी और राष्ट्रपति चिनफिंग के बीच चीन के वुहान शहर में अनौपचारिक शिखर वार्ता होने वाली है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन को लग रहा था कि वह भारत को इस प्रॉजेक्ट के लिए राजी कर लेगा, लेकिन ऐसा न होने से उसकी परेशानी बढ़ गई है।
बेल्ट ऐंड रोड इनीशिएटिव चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की बेहद महत्वकांक्षी परियोजना है, जिसके तहत वह एशिया और बाकी देशों तक कनेक्टिविटी विकसित करना चहता है।
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भारत ने इस परियोजना के बेहद महत्वपूर्ण हिस्से सीआरपीसी पर साइन नहीं किया है। सीआरपीसी (चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर) लगभग करीब 3,78,646 करोड़ रुपये की परियोजना है, जिसका रास्ता पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है। भारत पहले भी क्षेत्रीय संप्रभुता का हवाला देकर इस पर साइन करने से इनकार कर चुका है।
चीन बेल्ट ऐंड रोड के लिए भारत को राजी करने में सक्षम होगा या नहीं, इसे लेकर मोदी और शी की शुक्रवार और शनिवार को होने अनौपचारिक बैठक पर भी नजर रहेंगी। लेकिन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शंघाई सहयोग संगठन के तहत विदेश मंत्रियों की मीटिंग के बाद जारी बयान में बेल्ट ऐंड रोड के लिए समर्थन की बात नहीं कही है। पाकिस्तान के साथ भारत ने इस ग्रुप (शंघाई सहयोग संगठन) को पिछले साल ही जॉइन किया है।
भारत के अलावा, कजाकिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने चीन की बेल्ट ऐंड रोड परियोजना के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है। इसके लेकर कोई और स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है।
बता दें कि दोनों देशों की सेनाएं डोकलाम के मुद्दे पर 73 दिन तक एक-दूसरे के सामने रही थी। इस दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प भी हुई थी।
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