मेडल जीतने की असली खुशी भारत में
|Virendra.sharma
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नई दिल्ली : रियो पैरालिंपिक में हाई जंप में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले ग्रेटर नोएडा के वरुण भाटी ने रियो से फोन पर एनबीटी से कहा कि शुरू में जब मैं इस खेल में आया तो पापा डरते थे कि मुझे कहीं चोट न लग जाए। वे मुझे लेकर बहुत केयरिंग थे, लेकिन मेरे शानदार प्रदर्शन ने उनके डर को दूर कर दिया और वह निश्चिंत हो गए।
अभी तो मेरी फीलिंग बहुत नॉर्मल हैं। यहां इतनी दूर रियो में मुझे सोशल मीडिया पर इतनी बधाई मिल रही हैं। मेडल जीतने की असली खुशी का मजा तो मुझे भारत में मिलेगा। यहां मेडल जीतने का बहुत प्रेशर था। क्योंकि मरिअप्पन, मैं और शरद कुमार वर्ल्ड की पहली, दूसरी और तीसरी रैंकिंग पर काबिज थे। जब मैं खेलने उतरा तो मन में यही था कि यह मेरी ट्रेनिंग है, न कि कोई कॉम्पिटिशन। जैसे-जैसे मेरी कूद बढ़ती गई मेरे ऊपर से प्रेशर हटता गया। हालांकि मैं अपनी बारी से पहले वार्मअप के दौरान ही समझ गया था कि मैं मेडल जरूर जीतूंगा। मेरा शरीर शेप में था और अच्छी तरह से खुल रहा था।
इस जीत का श्रेय मेरी फैमिली और कोच सत्यनारायण को जाता है। इसके अलावा सरकार की टॉप्स स्कीम के तहत यूक्रेन में मेरी एक महीने की ट्रेनिंग मेरे बहुत काम आई। रियो में हमें एक महीने पहले आने का बहुत फायदा मिला। इससे हम यहां के माहौल में जल्दी ढल गए। हमें इतनी बधाइयां मिल रहीं हैं तो लोग ये न समझें कि हम एक दिन के हीरों हैं। इसके पीछे हमारी 4-5 साल की मेहनत है। मैं चाहता हूं कि हमें बधाई देने वाले सेलिब्रेटी पैरालिंपिक गेम्स को भी प्रमोट करें।
2014 के इंचिओन में हुए एशियन गेम्स में मैं पांचवे स्थान पर रहा था। यह मेरी सबसे बुरी हार थी। इससे पहले मैं सोचता था कि मैं हार नहीं सकता। इस बुरे प्रदर्शन ने मेरे ओवर कॉन्फिडेंस को तोड़ दिया, जो मेरे लिए जरूरी था। इसी हार से मोटिवेशन लेते हुए मैंने यहां रियो में बेहतरीन प्रदर्शन किया।
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