मस्जिद में प्रवेश पर पाबंदी, सेना का अपमान लेकिन प्रगतिशीलता के झंडाबरदार खामोश
|राजनीति करने वाले अपने वोटबैंक की चिंता करते हैं करनी भी चाहिए लेकिन जब लेखक या बुद्धिजीवी खुद को राजनीतिक औजार के तौर पर इस्तेमाल करने की छूट देते नजर आते हैं तो समाज में उनकी प्रतिष्ठा कम होती है।