भारत ने मेडिकल डिवाइसेज की कीमतों पर लगाम न लगाने की अमेरिका की गुजारिश को किया खारिज: सूत्र
|मेडिकल डिवाइसेज की कीमतों की अधिकतम सीमा तय करने के फैसले पर पुनर्विचार के लिए अमेरिकी दबाव को भारत ने दरकिनार कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक भारत ने अमेरिका से दो टूक कहा है कि वह अभी उन मेडिकल डिवाइसेज का दायरा बढ़ाएगा, जिनकी कीमतें नियंत्रित की जाएंगी। दरअसल अमेरिका स्टेंट और नी ट्रांस्पलांट से जुड़े मेडिकल डिवाइसेज के प्राइस कंट्रोल का विरोध कर रहा है क्योंकि अमेरिकी कंपनियों का आरोप है कि इससे उनके बाजार पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
भारत दिल से जुड़ी बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले 3 और मेडिकल डिवाइसेज को प्राइस कंट्रोल के दायरे में लाने की तैयारी में है। भारत का मेडिकल डिसाइस मार्केट 5 अरब डॉलर का है और इस वजह से यह ऐबॉट और बोस्टन साइंटिफिक कॉर्पोरेशन जैसी अमेरिकी कंपनियों को आकर्षित कर रहा है। भारत ने इस क्षेत्र में हद से ज्यादा मुनाफाखोरी पर लगाम लगाने के लिए प्राइस कंट्रोल की नीति अपनाया है, जिससे ये कंपनियां नाराज हैं।
पिछळे साल सितंबर में यूनाइटेड स्टेड ट्रेड रेप्रजेंटेटिव्स (USTR) ने पीएम नरेंद्र मोदी और ट्रेड मिनिस्टर सुरेश प्रभु को खत लिखकर गुजारिश की थी कि प्राइस कंट्रोल के दायरे में और अधिक मेडिकल डिवाइसेज को न लाया जाए।
सूत्रों के मुताबिक पिछले महीने USTR के असिस्टेंट ट्रेड रेप्रजेंटेटिव मार्क लिंसकॉट के साथ बैठक में भारतीय अधिकारियों ने कहा कि भारत ने फैसला किया है कि वह इस तरह की किसी भी तरह की प्रतिबद्धता नहीं जताएगा। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस मुद्दे पर भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं होगा। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि मीटिंग के दौरान लिंसकॉट ने भारत के रुख पर चिंता जताई।
मेडिकल डिवाइसेज का प्राइस कंट्रोल प्रधानमंत्री मोदी के अजेंडे में शामिल है और वह कई मंचों से इसका जिक्र कर चुके हैं। पिछले साल सरकार ने ‘गैरकानूनी मुनाफाखोरी’ पर लगाम लगाते हुए स्टेंट की कीमतों को नियंत्रित किया था। पहले जो स्टेंट 3000 डॉलर में मिलते थे अब उनकी कीमत करीब 450 डॉलर तय कर दी गई है। पिछले महीने के ब्रिटेन दौरे पर मोदी ने प्राइस कंट्रोल की सफलता का जिक्र करते हुए कहा कि इससे इलाज पहले से ज्यादा किफायती हुआ है।
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