भारत को बिजनस के संचालन का प्रमुख केंद्र क्यों बनाने लगी हैं मल्टिनैशनल कंपनियां?
|फॉर्चून 500 कंपनियों के आकर्षण का केंद्र अब भारत बन रहा है और ये कंपनियां अपना सेंटर भारत में शिफ्ट कर रही हैं। यही नहीं ये कंपनियां अपने भविष्य की रणनीतियां भी भारत में ही खोज रही हैं। यह कहना है नेवी से रिटायर्ड Ansr चलाने वाले ललित आहूजा का। बेंगलुरु में आहूजा की कंपनी मल्टिनैशनल कंपनियों को भारत में इंजनियरिंग और रिसर्च डिवेलपमेंट सेंटर्स बनाने में मदद कर रही हैं। ऐसे कंपनियों को ग्लोबल इनहाउस सेंटर्स या जीआईसी कहा जाता है।
आईटी कंपनी नैस्कॉम के हेड के एस विश्वनाथन ने कहा, ‘केवल पैसा बचाने के लिए ये कंपनियां भारत नहीं आ रहीं। वे डिजिटल टेक्नॉलजी की वजह से भारत का रुख कर रहीं हैं।’ भारत में करीब 1,150 MNCs के ग्लोबल इन-हाउस सेंटर्स है जो देश के 8 लाख लोगों को रोजगार दे रहे हैं।
सालों तक भारत को सस्ता होने के कारण आउटसोर्सिंग का केंद्र माना जाता था। आजकल ज्यादा काम डेटा-ऐनालिटिक्स, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन और रोबॉटिक्स पर हो रहा है। नई डिजिटल टेक्नॉलजी बिजनस बढ़ाने में मदद कर रही हैं, जिससे MNCs के रेवेन्यू का नया सोर्स तैयार हो रहा है। इससे न सिर्फ कॉस्ट कम हो रही है बल्कि प्रोडक्टिविटी भी बढ़ रही है।
उदाहरण के लिए अडोबी के कुछ खास बड़े प्रॉडक्ट्स जैसे- एक्रोबैट, इनडिजाइन पूरी तरह से भारत के बाहर बनते हैं। फायट क्रिसलर, जीएम, फॉक्सवैगन, ह्यूंदै और टाटा मोटर्स के कार टेक्नॉलजी सिस्टम भारत में हार्मन रिसर्च सेंटर पर तैयार होते हैं।
मल्टिनैशनल कंपनियों की नजर बेंगलुरु पर 80 के दशक में पड़ी। अमेरिका की चिप डिजाइन फर्म टेक्सस इंस्ट्र्यूमेंट्स ने 1985 में बेंगलुरु में आरऐंडडी सेंटर स्थापित किया लेकिन 2000 के बाद आईटी सेक्टर ने बेंगलुरु में रफ्तार पकड़ी। विदेशी कंपनियों को तकनीक और इनोवेटिव सॉलूशंस के लिए भारत से ही इंजिनियर्स मिल सकते थे जिनमें क्विलिटी भी हो और कॉस्ट भी कम रहे। अभी तक कंपनियां आईबीएम, अक्सेन्चर, टीसीएस और इन्फोसिस जैसी कंपनियों से टेक्नॉलजी आउटसोर्स करतीं थीं। ग्लोबल कंपनियां अब ये काम जीआईसी के जरिए करना शुरू कर दिया है।
बेंगलुरु के आईटी हब बनने में इंडियन इंस्टिट्यूट साइंस (IISc) ने बुनियाद रखी। अब बेंगलुरु में हर बड़ी विदेशी कंपनी का ऑफिस है। नेटऐप इंडिया की डायरेक्टर एचआर सोनाली डे सरकार बताती हैं, ‘हमारी भारत की साइट दुनिया में सबसे बड़ी है। हाल यह है कि अमेरिका में लोग यहां रिपोर्ट करते हैं।’ मर्सेडीज बेन्ज आरऐंडडी के एमडी मनु साले ने बताया, ‘चीन में भी भारत जैसा टैलंट नहीं है। चीन के लोग लोकल मार्केट पर फोकस रखते हैं। भारत वैश्विक कदम उठाता है। मैंने इस तरह का इंटरनैशनल माइंडसेट और इंजिनियरिंग स्किल्स नहीं देखीं हैं।’
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