बीजेपी के पास समाधान नहीं, साजिश है: सिसोदिया
| नई दिल्ली
आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद दिल्ली का राजनीतिक घटनाक्रम भी तेजी से बदल रहा है। जहां बीजेपी-कांग्रेस ने इन सीटों पर उपचुनाव के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है, वहीं आम आदमी पार्टी का कहना है कि कोर्ट में उनके पक्ष में फैसला आएगा। जब विधायकों की ओर से तथ्य कोर्ट के सामने रखे जाएंगे तो उपचुनाव की नौबत ही नहीं आएगी। कोर्ट में लड़ाई से लेकर सरकार के कामकाज से जुड़े तमाम पहलुओं पर एनबीटी ने दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से बातचीत की …
20 विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को कैसे देखते हैं?
चुनाव आयोग ने बिना सुनवाई के ही ओपिनियन तैयार कर राष्ट्रपति को भेज दी थी, जबकि ऐसे आदेश मौजूद हैं, जिनसे साफ हो जाता है कि इन विधायकों ने संसदीय सचिव रहते हुए कोई लाभ नहीं कमाया। नियमों से साफ है कि संसदीय सचिव को सरकार से कोई पैसा व मानदेय नहीं मिलेगा और आप के विधायकों ने सरकार से कोई पैसा नहीं लिया बल्कि अपने पैसे खर्च कर सरकार के कामकाज को आगे बढ़ाने में मदद की। अस्पतालों, स्कूलों में जाकर वहां लोगों से बात कर समस्याओं को सरकार तक पहुंचाया। चुनाव आयोग ने सुनवाई का समय नहीं दिया क्योंकि सुनवाई होती तो सारे तथ्य सामने आ जाते। साफ नजर आता है कि चुनाव आयोग ने दबाव में आकर ओपिनियन तैयार की थी और इसके लिए सीधे तौर पर बीजेपी जिम्मेदार है। बीजेपी के पास समाधान नहीं बल्कि षड्यंत्र है और बीजेपी दिल्ली की जनता को राजनीतिक षड्यंत्र में फंसा रही है।
बीजेपी पर इन आरोपों का क्या आधार है?
आम आदमी पार्टी सरकार बहुत जल्द गवर्नेंस में ऐसे सुधार लाने जा रही है, जिनके बारे में बीजेपी कभी सोच भी नहीं सकती। डोर स्टेप डिलिवरी, राशन कार्ड की होम डिलिवरी, सीसीटीवी, फ्री वाई फाई, अप्रैल में शुरू होने वाले स्कूल ऑफ एक्सिलेंस का काम फास्ट ट्रैक में है। फ्री वाई फाई को लेकर स्टडी हो गई है और मॉडल भी फाइनल है। स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लग रहे हैं। अगर ये सब काम हो जाते हैं तो लोग दूसरे राज्यों में बीजेपी की सरकारों से जवाब मांगेगे। बीजेपी की जहां- जहां सरकार बनती है, वहां बिजली महंगी होती है, सरकारी स्कूल बंद होते हैं, व्यापारियों को नुकसान पहुंचाया जाता है, लेकिन आप सरकार ने दिल्ली में हेल्थ, एजुकेशन में क्रांतिकारी काम किए और अगर ये सभी काम भी हो जाएंगे तो लोग बीजेपी से जवाब मांगेगे और बीजेपी को यही डर है। बीजेपी दिल्ली की जनता के काम रुकवाने की साजिश रच रही है। चुनाव थोपे जाते हैं तो फिर आचार संहिता के चलते फास्ट ट्रैक पर चल रहे कामों में रुकावट आएगी और यही साजिश है। हरियाणा, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में संसदीय सचिवों की सदस्यता क्यों नहीं रद्द की जा रही है क्योंकि अगर ऐसा होता है तो वहां की सरकारें गिर जाएंगी।
उपचुनाव की क्या तैयारी है?
पहली बात तो यह है कि जब कोर्ट के सामने आम आदमी पार्टी सारे तथ्य और नियमों को रखेगी तो उपचुनाव की नौबत ही नहीं आएगी। दिल्ली सरकार अपना काम कर रही है। लोग अब बीजेपी-कांग्रेस के षड्यंत्र को जानते हैं और उन्हें पता है कि ये पार्टियां कभी भी साजिश रच सकती हैं। यही कारण है कि आप को इतनी ज्यादा सीटें मिली कि सरकार को कोई खतरा नहीं होगा। बीजेपी-कांग्रेस को असली जवाब जनता ही देगी। देश ने बड़े-बड़े फैसले देखे हैं। अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में जो हुआ, वह सबके सामने हैं और कोर्ट के फैसलों से सारी तस्वीर साफ हो जाता है। दिल्ली में भी पार्टी को हाई कोर्ट के फैसले से पूरी उम्मीद है।
चुनाव आयोग की सिफारिश को दो दिनों में मंजूरी दिए जाने के मामले पर कुछ कहेंगे?
राष्ट्रपति के फैसले पर कोई कमेंट नहीं करूंगा लेकिन कुछ तथ्य जरूर रखना चाहूंगा। दिल्ली विधानसभा में ढाई साल पहले लोकपाल बिल पास किया था, लेकिन यह अभी लंबित है। इसी तरह से प्राइवेट स्कूलों की फीस को रेगुलेट करने का बिल भी ढाई साल से आगे नहीं बढ़ पा रहा है। लेकिन आप विधायकों के खिलाफ ओपिनियन को लेकर ढाई दिन का समय भी नहीं लगा।
रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष पद संभालने वाले विधायकों पर भी क्या तलवार लटक रही है?
वैसे तो 20 विधायकों के मामले में भी कुछ नहीं है और रही बात रोगी कल्याण समिति की तो यह मामला तो कुछ भी नहीं है।
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