बंबई उच्च न्यायालय ने विकृत स्पिरिट नियमन की महाराष्ट्र सरकार की पहल को झाटका दिया
|हाल ही में राज्य सरकार ने इसे लेकर नए नियम पेश किए थे, जिसके जरिए वह इस प्रकार की विकृत मदिरा डिनेचर्ड स्पिरिट के उपयोग, बिक्री, आयात और निर्यात का नियमन कर सकती है और उस पर शुल्क लगा सकती है। राज्य सरकार का कहना कहा था कि नए नियम का उद्देश्य इस प्रकार की विकृत मदिरा का दुरुपयोग नहीं हो और उसक उपभोग नहीं किया जा सके।
सरकार के नए फैसले को चुनौती देने के लिए विकृत स्पिरिट और एथेनॉल विनिर्माता कंपनियों ने उच्च न्यायालय का रूख किया था और नये नियमों को चुनौती दी थी। कंपनियों का दावा है कि इसके लिये नियमों के तहत वह राज्य सरकार से पहले ही लाइसेंस प्राप्त कर चुकी हैं।
याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, कंपनियां डिनेचर्ड स्प्रिट का पुन: आसवन करके इथेनॉल का निर्माण करती हैं, जिसका इस्तेमाल मोटर स्पिरिट में मिलाने के लिए किया जाता है।
उनका दावा है कि राज्य सरकार के पास सिर्फ परिशोधित स्पिरिट का नियमन करने सहित मानव उपभोग के एल्कोहलिक पेय पदार्थ पर शुल्क लगाने का अधिकार है।
भाषा
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।
Latest Business News in Hindi – बिज़नेस समाचार, व्यवसाय न्यूज हिंदी में | Navbharat Times