फ्लेक्सी फेयर से रेलवे यात्रियों को फिलहाल राहत नहीं
|राजधानी, दुरंतो और शताब्दी जैसी ट्रेनों के पैसेंजरों को फिलहाल फ्लेक्सी फेयर की मार से राहत मिलती नजर नहीं आ रही। हालांकि राहत देने के इरादे से ही रेलवे ने लगभग दो महीने पहले उच्चस्तरीय कमिटी का गठन किया था। इस कमिटी ने तय अवधि में अपनी रिपोर्ट भी दे दी, लेकिन रेलवे ने इस रिपोर्ट पर फिलहाल फैसला टाल दिया है।
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इंडियन रेलवे के सूत्रों का कहना है कि इस रिपोर्ट पर फैसला लेने के इरादे से रेलमंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को उच्चस्तरीय बैठक भी बुलाई थी, जिसमें कमिटी के सदस्यों को भी बुलाया गया था लेकिन उस बैठक में कोई निर्णय नहीं लिया गया। अब तय किया गया है कि इस मसले पर और विचार-विमर्श के बाद फिर से बैठक बुलाई जाएगी। रेलवे सूत्रों का कहना है कि अब अगली बैठक कब होगी, फिलहाल इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है।
उल्लेखनीय है कि फ्लेक्सी फेयर के तहत इन ट्रेनों में एक तय संख्या में सीटों की बुकिंग होने के बाद यात्री किराये में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हो जाती है। इस तरह से यह अंतिम दस फीसदी सीटों की बुकिंग कराने वाले यात्रियों को लगभग 50 फीसदी अतिरिक्त किराया देना होता है। इसी अतिरिक्त किराये की बदौलत रेलवे को लगभग 600 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होती है।
बीते साल रेलवे की ओर से यह बात सामने आई थी कि यात्रियों की मांग पर रेलवे इस मामले में पुनर्विचार कर सकता है। इसी इरादे से इस साल जनवरी में रेलवे की ओर से एक उच्चस्तरीय कमिटी का गठन किया गया। इस कमिटी में रेलवे के अलावा होटल इंडस्ट्री और एयरलाइंस इंडस्ट्री से जुड़े आला अधिकारियों को भी रखा गया था ताकि कमिटी सिर्फ सरकारी सोच के आधार पर ही फैसले न ले, बल्कि ओपन मार्केट की हकीकत को समझकर निर्णय लिया जाए।
इस कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में फ्लेक्सी फेयर पर आंखमूंद कर अमल करने की बजाय यह भी सुझाव दिया कि जिन सेक्टर में कम यात्री सफर करते हैं या फिर जहां रात के वक्त ट्रेनें अपने डेस्टिनेशन पर पहुंचती हैं, वहां का किराया कम रखा जाए। इसी तरह के कुछ और सुझाव भी दिए गए थे। इस कमिटी की रिपोर्ट आने के बाद रेलवे को इन सिफारिशों पर फैसला लेना है, लेकिन रिपोर्ट आने के बाद जब बैठक बुलाई गई तो उसे बाद में रद्द कर दिया गया।
इसके बाद सोमवार को बैठक बुलाई गई, जिसमें रेलमंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद थे, लेकिन इसमें भी फैसला नहीं लिया गया बल्कि यह कहा गया कि इस रिपोर्ट के आधार पर और मंथन किया जाए। उसके बाद फैसला लिया जाएगा।
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