फैक्ट्री को बंद करना ही समझदारी भरा फैसला: पारले-जी प्रबंधन

नम्रता सिंह/मयूर शेट्टी, मुंबई
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के विले पार्ले इलाके के लिए लैंडमार्क कही जाने वाली पारले-जी बिस्किट की सबसे पुरानी फैक्ट्री बंद हो गई है। 87 साल पुरानी फैक्ट्री में ताला लग गया है। पारले-जी प्रबंधन के इस फैसले से मुंबई समेत देश भर के तमाम लोग भावुक और निराश हैं। लेकिन पारले-जी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अरूप चौहान का कहना है कि मौजूदा वक्त में इस फैक्ट्री में उत्पादन को बरकरार रख पाना संभव नहीं था। इस फैक्ट्री को चलाए रख पाना आर्थिक तौर पर समझदारी का परिचय नहीं होता। विजय चौहान फैमिली के मालिकाना हक वाली कंपनी के मैनेजमेंट का कहना है कि उत्पादन लगातार कम हो रहा था, इसकी वजह से इस यूनिट को बंद ही करने का फैसला लेना पड़ा।

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पारले-जी कंपनी के प्रॉडक्ट्स का सालाना कारोबार करीब 10,000 करोड़ रुपये का है। यह कंपनी बिस्किट के अलावा फ्रूटी समेत कई और कन्फेक्शनरी आइटम्स तैयार करती है। बीते कुछ सालों से उत्पादन में लगातार गिरावट के चलते दो महीने पहले यहां उत्पादन रोक दिया गया था और आखिर में फैक्ट्री बंद ही कर दी गई। अरूप चौहान ने बताया कि फैक्ट्री को बंद करने से पहले तक यहां 300 वर्कर काम कर रहे थे, इन सभी लोगों ने वीआरएस ले लिया है।

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10 एकड़ इलाके में फैली यह फैक्ट्री पारले प्रॉडक्ट्स का हेडक्वॉर्टर भी है। हालांकि चौहान ने फैक्ट्री बंद करने के बाद की रणनीति पर कोई बात नहीं की है, लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि जिस जगह पर यह यूनिट है, वहां जमीन के दाम काफी ऊंचे हो गए हैं। रीयलटी सेक्टर के एक्सपर्ट्स के मुताबिक विले पार्ले इलाके में प्रॉपर्टी के रेट 25 से 28 हजार रुपये प्रति स्क्वेयर फुट तक हैं।

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