पॉकेट मनी के 350 रुपए लेकर अमिताभ और विराट से मिलने चले गए मुंबई
|अपने चहेते अभिनेता अमिताभ बच्चन और क्रिकेटर विराट कोहली को नजदीक से देखने और उनसे मिलने की चाहत में वृंदावन की गौरानगर कालौनी का रहने वाला किशोर अपनी मौसी के लड़के को साथ लेकर मुंबई जा पहुंचा। दोनों अमिताभ के बंगले ‘ जलसा’ तक तो पहुंच गए, लेकिन उनका दीदार नहीं हो सका। इसके बाद दूसरे ने अपने फेवरिट क्रिकेटर से मिलने की इच्छा जाहिर की तो रात होने की बात कह दोनों लौटने के लिए निकल पड़े। मथुरा आने के लिए ट्रेन में चढ़े, लेकिन गलती से महिला कोच में चढ़ने के कारण जीआरपी ने पकड़ लिया। पूछताछ की तो दोनों ने अपने मुम्बई आने का उद्देश्य और पूरी कहानी बताई, जिसके बाद जीआरपी ने उनके परिजनों से फोन पर संपर्क किया और परिजन शुक्रवार की शाम दोनों को मुंबई से लेकर वृंदावन आए। यहां उन्हौने अपनी पूरी यात्रा के बारे में पुलिस और परिजनों को बताया।
जानकारी के मुताबिक थाना वृंदावन क्षेत्र की गौरानगर कॉलोनी निवासी जयदेव श्रोत्रीय का 14 वर्षीय बेटा भावेश अपने मौसी के बेटे 10 वर्षीय अमन पाठक के साथ मंगलवार 10 अप्रैल को घर से दूध लेने जाने के लिए निकले थे, लेकिन वापस नहीं लौटे। परिजनों ने दोनों के अपहरण की आशंका जताते हुए थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी। गुरुवार को मुंबई से आए फोन पर बच्चों की जानकारी मिली तो वे शुक्रवार की शाम दोनों बच्चों को लेकर वृंदावन लौटे। यहां पुलिस और परिजनों के सामने बच्चों ने पूरी कहानी बयां की और बताया कि फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन और किक्रेटर विराट कोहली को नजदीक से देखने के लिए मुंबई गए थे।
उन्होंने बताया कि दूध लेने के लिए घर से निकले थे और रास्ते में दूध का डिब्बा किसी साधू को दे दिया तथा ऑटो में बैठकर वृंदावन से मथुरा जंक्शन पहुंचे। यहां समय सारिणी और ट्रेन की जानकारी के बोर्ड को देखकर मुंबई जाने वाली पंजाब मेल में सवार हो गए। बुधवार 11 अप्रैल को दोनों मुंबई के शिवाजी टर्मिनल स्टेशन पर उतरे और वहां से ऑटो पकड़ कर अमिताभ बच्चन के बंगले जलसा पहुंच गए। काफी इंतजार किया, लेकिन अपने चहेते स्टार को देख नहीं सके।
अमिताभ के बंगले को देखने के बाद अमन ने क्रिकेटर विराट कोहली को देखने के लिए चलने की बात कही जिस पर भावेश ने उसे कहा कि रात हो जाएगी और लौटकर चलना है। वृंदावन आने के लिए निकले और पहले बांद्रा स्टेशन आए। रात करीब 12 बजे दोनों दोनों मुंबई सेंट्रल स्टेशन पहुंचे और मथुरा आने के लिए देहरादून एक्सप्रेस में चढ़ गए, लेकिन यहां दोनों से चूक यह हुई कि गलती से वो महिला कोच में बैठ गए और जीआरपी की नजर इन पर पड़ गई।
बोरीवली स्टेशन पर दोनों बच्चों को जीआरपी ने उतारकर पूछताछ की तो उन्होंने अपने परिजनों का फोन नंबर दिया और मुंबई आने के अपने उद्देश्य का बताया। जीआरपी ने फोन पर परिजनों को जानकारी दी और परिजन बृहस्पतिवार को बच्चों को लाने के लिए निकल गए। शुक्रवार दोनों बच्चों को वृंदावन लाए। दोनों बच्चों से जब रास्ते में उनके खाने पीने और किराए के बारे में पूछा गया तो उन्हौने बताया कि पापॉकेट मनी के करीब साढ़े तीन सौ रुपए उनके पास थे। ऑटो का किराया दिया, लेकिन ट्रेन में टिकट नहीं ली। रास्ते में भूख लगने पर स्टेशन पर समोसे और चिप्स खाए थे। वहीं इस मामले में जब एसएचओ वृंदावन सुबोध कुमार से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट किया कि बच्चों के अपहरण का मामला नहीं था। बच्चों ने खुद ही मुंबई जाने की बात बताई है।
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