पेंशनभोगियों के लिए डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र को समाप्त करेगी सरकार
|केंद्र निजता से जुड़े मुद्दों के चलते डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट जारी करने की अपनी महत्वकांक्षी ऑनलाइन व्यवस्था जल्दी ही समाप्त कर सकता है। एक साल पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी शुरुआत की थी। मोदी ने पिछले साल नवंबर में ही पेंशनभोगियों के लिए आधार संख्या युक्त डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र ‘जीवन प्रमाण’ शुरू किया था। इसका मकसद पेंशन जारी रखने के लिए पेंशनभोगियों को हर साल स्वयं उपस्थित होकर जीवन प्रमाणपत्र जमा करने की जरूरत को समाप्त करना था। जीवन प्रमाण पेंशनभोगियों के लिए एक वैकल्पिक प्रणाली है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार करीब 9.27 लाख पेंशनभोगी इसके लिए पहले ही पंजीकरण करा चुके हैं। केंद्र सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए ऑनलाइन पेंशन मंजूरी तथा भुगतान निगरानी प्रणाली ‘भविष्य’ पर आयोजित एक कार्यशाला में केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने गुरुवार को कहा कि पेंशन जारी रखने के लिए डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र जमा करने की व्यवस्था जल्दी ही समाप्त की जाएगी।
कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन मामलों के मंत्री सिंह ने कहा कि पेंशनभोगियों को प्राथमिकता दी जा रही है क्योंकि अब कार्यरत कर्मचारियों के मुकाबले पेंशनभोगियों की संख्या ज्यादा है। इसका कारण जीवन प्रत्याशा बढ़ना है। इससे पहले, कार्यक्रम में पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण मामलों के सचिव देवेन्द्र चौधरी ने कहा कि डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र के मामले में कुछ निजता के मुद्दे हैं।
उन्होंने कहा, ‘डिजिटल जीवन प्रमाणन के मामले में कुछ अन्य मुद्दे हैं। पूर्व में कुछ मौकों पर मैंने उसका जिक्र किया है, निजता कानून के संदर्भ में कुछ मामले हैं और दूसरे मंचों पर इस बारे में चर्चा की गई।’ चौधरी ने कहा, ‘इसीलिए हम कदम उठा रहे हैं, डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र की प्रणाली समाप्त करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि हम नागरिकों पर भरोसा करना चाहते हैं और अगर हम अपने कर्मचारियों पर विश्वास नहीं कर सकते, तो यह दु:खद मामला है।’ केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों की संख्या करीब 55 लाख है।
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