पहले भी कई बार खादी के कैलेंडर में नहीं छपी है महात्मा गांधी की तस्वीर
|खादी ग्रामोद्योग आयोग के कैलेंडर व डायरी में महात्मा गांधी की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर पर मचे सियासी घमासान में एक नया मोड़ आ गया है। सूत्रों का कहना है कि पहले भी आयोग ऐसी डायरी व कैलेंडर छाप चुका है, जिसमें महात्मा गांधी की तस्वीर नहीं थी। सूत्रों ने इस विवाद को ‘अनावश्यक’ करार दिया। केवीआईसी के कैलेंडर व डायरी में ‘महात्मा गांधी की जगह’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर छापने को लेकर विपक्षी पार्टियों ने प्रधानमंत्री को आड़े हाथ लिया है।
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सूत्रों ने शुक्रवार को कहा कि साल 1996, 2002, 2005, 2011, 2012, 2013 तथा 2016 में केवीआईसी द्वारा जारी कैंलेंडर व डायरी में महात्मा गांधी की तस्वीर नहीं थी, इसलिए इस मुद्दे पर विवाद का कोई कारण नहीं बनता। सूत्रों का कहना है कि केंद्र में कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान खादी की बिक्री में पांच से सात फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई, लेकिन बीते दो वर्षों में ‘अप्रत्याशित’ 30 पर्सेंट की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि बिक्री में यह इजाफा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोगों से खादी को अपनाने पर जोर देने के कारण हुआ।
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सूत्रों का कहना है कि खादी आयोग में ऐसा कोई नियम नहीं है कि कैलेंडर या डायरी में महात्मा गांधी की तस्वीर होनी ही चाहिए। उनके मुताबिक, मोदी ‘युवाओं के आदर्श’ हैं और युवाओं के बीच खादी की बढ़ रही लोकप्रियता इसका सबूत है। उन्होंने कहा कि खादी ग्रामोद्योग आयोग की डायरी व कैलेंडर में मोदी की तस्वीर उस कार्यक्रम से ली गई थी, जिसमें उन्होंने निर्धन महिलाओं के बीच चरखे का वितरण किया था।
गुरुवार को खादी आयोग के कैलेंडर व डायरी के कवर पेज पर गांधी की बजाय पीएम मोदी की चरखा चलाते हुए तस्वीर छापे जाने की खबर के बाद विपक्षी दल निशाना साध रहे हैं।
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