नेशनल कोच पर शूटर्स की बंदूक से छेड़छाड़ का आरोप:पिता ने कहा- कोच ने मेरी बेटे की बंदूक खराब कर दी; राष्ट्रीय संघ का इंकार
|पेरिस ओलिंपिक गेम्स से ठीक पहले भारतीय निशानेबाज एक बार फिर विवादों में आती दिख रही है। मंगलवार को कुछ निशानेबाजों ने परिजनों ने एक नामी नेशनल कोच पर राइफल के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाए हैं। एक निशानेबाज के परिजन ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर PTI को बताया है कि कोच ने उनके बेटे की राइफल से छेड़छाड़ की। जिसके बाद उन्हें नए उपकरण खरीदने पड़े। हालांकि, परिजन ने कोच की पहचान उजागर करने से इंकार कर दिया। वर्ल्ड कप से एक दिन पहले खिलाड़ी की अनुमति के बिना कोच बंदूक में इस तरह के बदलाव कैसे कर सकता है। मामला पिछले साल भोपाल में आयोजित ISSF वर्ल्ड कप का है। हालांकि, नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) के महासचिव राजीव भाटिया ने इन आरोपों का खंड़न किया है। याद दिला दें कि टोक्यो ओलिंपिक-2020 में भी भारतीय निशानेबाज विवाद के कारण खाली हाथ रह गए थे। 4 महीने पहले टीम इंडिया के हाई-परफॉर्मेंस डायरेक्टर ने देश नामी पूर्व निशानेबाज जसपाल राणा को रेंज से निकल दिया था। इस बाद भी विवाद खड़ा हो गया था। पूरी खबर खिलाड़ी के पिता बोले- कई शूटर्स शिकायत कर चुके खिलाड़ी के पिता ने कहा कि संबंधित कोच जब भी टीम के साथ विदेश जाता है, तब ऐसा ही होता है। कोच का तर्क होता है कि आपको प्रयोग करने की जरूरत है, लेकिन वर्ल्ड कप से एक दिन पहले आप किस तरह के प्रयोग कर रहे हैं। कई निशानेबाज इस संबंध में भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (NRAI) को भी सूचित कर चुके हैं। महासचिव बोले- ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं NRAI के महासचिव राजीव भाटिया ने इन आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा- मुझे इस तरह की किसी घटना का पता नहीं है। भाटिया ने कहा कि किसी ने भी हमारे पास शिकायत दर्ज नहीं की है। मुझे नहीं लगता कि ऐसा हुआ होगा। अगर ऐसा हुआ था तो फिर निशानेबाजों को खुलकर सामने आना चाहिए था। उनका चयन नहीं होने पर ही इस तरह के आरोप क्यों लगाए जा रहे हैं। भोपाल में विश्व कप पिछले साल मार्च में हुआ था और तब से काफी समय बीत चुका है। बंदूकों से छेड़छाड़ का रिकॉर्ड पुराना एक अन्य निशानेबाज के पिता ने आरोप लगाया कि इस कोच का बंदूकों से छेड़छाड़ करने का पुराना रिकॉर्ड रहा है। उन्होंने कहा कि मेरा बेटा विश्व कप खेलने गया था और कोच ने जूरी (सदस्य) के साथ मिलकर बंदूक के साथ छेड़छाड़ की थी। कोच का बंदूकों के साथ छेड़छाड़ का पुराना रिकॉर्ड है। हम इसे एनआरएआई के संज्ञान में नहीं लाए, क्योंकि हमें प्रतिशोध का डर है। शूटिंग की अन्य खबरें भी पढ़िए पिछले 2 ओलिंपिक से क्यों खाली हाथ लौटे हमारे शूटर जब भी ओलिंपिक गेम्स शुरू होते हैं 140 करोड़ भारतीय फैंस की नजरें निशानेबाजों पर होती हैं। कारण, हमारे शूटर्स का बीते सालों में चमकीला प्रदर्शन। 21वीं सदी के 6 ओलिंपिक गेम्स में से 3 में हमारे शूटर्स ने मेडल दिलाए थे। भारत के ओलिंपिक इतिहास का पहला इंडिविजुअल गोल्ड भी इसी खेल से आया, जो 2008 में अभिनव बिंद्रा ने दिलाया। उससे पहले, 2004 में राज्यवर्धन राठौड़ ने सिल्वर जीतकर खेलों में शूटिंग के मेडल का खाता खोला। फिर 2012 में विजय कुमार ने सिल्वर और गगन नारंग ने ब्रॉन्ज दिलाया। पूरी खबर