नेत्रहीन सागर बहेती ने सबसे मुश्किल मानी जाने वाली बॉस्टन मैराथन पूरा कर बनाया इतिहास
|भारतीय खेलों के इतिहास में सागर बहेती ने एक गौरवशाली अध्याय जोड़ा है। बेंगलुरु के रहने वाले दृष्टिहीन बहेती ने बॉस्टन मैराथन पूरा कर इतिहास रच दिया है। माना जाता है कि इस मैराथन के लिए क्वॉलिफाई करना बेहद मुश्किल और प्रतिस्पर्धी है। सागर ने शारीरिक अक्षमता के साथ सभी मुश्किलों को पार कर यह मुकाम हासिल किया है।
मैसाचूसिट्स असोसिएशन फॉर द ब्लाइंड ऐंड विजुअली इंपेयर्ड (MABVI) की तरफ से बहेती को पूरा सहयोग मिला। 31 साल के सागर बहेती ने दौड़ में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका की यात्रा की। वह पहले दृष्टिहीन भारतीय हैं जिन्होंने इस मैराथन में हिस्सा लिया। एक पुराने कॉलेज के दोस्त और बॉस्टन निवासी देविका नारायण की मदद से उन्होंने सोमवार को यह मुश्किल मैराथन पूरा किया। मैराथन में 30 हजार और लोगों ने भी हिस्सा लिया था। 2017 बॉस्टन मैराथन इस दशक का दूसरा सबसे गर्म मैराथन रहा। इस लिहाज से भी उनकी उपलब्धि महत्वपूर्ण है।
बहेती ने 42.16 किमी. के इस मैराथन को महज 4 घंटे में ही पूरा कर लिया। उनकी इस सफलता के गवाह उनके पैरंट्स विश्वकांता और नरेश बहेती भी बने। बहेती के माता-पिता भी बेटे का हौसला बढ़ाने के लिए अमेरिका पहुंचे थे। एक खास किस्म की बीमारी से ग्रस्त होने के कारण बहेती को अपनी आंखों की रोशनी हमेशा के लिए खोनी पड़ी।
2013 में जीवन में आए इस तूफान से उन्होंने खुद को प्रभावित होने नहीं दिया। पेशे से बिजनसमैन और खेलों के लिए उत्साही बहेती भारत में नेत्रहीन लोगों के लिए जागरुकता के कार्यक्रम भी चलाते हैं। इसी उत्साह और जागरुकता के कारण बहेती ने बोस्टन मैराथन में हिस्सा लिया। उनकी कोशिश है कि किसी तरह वह 10.000 डॉलर की रकम जुटा सकें। उनकी कोशिश कम बजट में ऐसे उपकरण तैयार करने की है जिससे नेत्रहीन लोगों के लिए रोजमर्रा की यात्रा आसान हो सके।
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