निवेशकों को लुभाने के लिए विदेश यात्रा में GST की खूबियां गिनाएंगे प्रधानमंत्री
|प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जर्मनी, रूस और अमेरिका के अपने दौरे में नए गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) की बातें जोर-शोर से दुनिया के सामने रख सकते हैं। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि इन विदेशी दौरों में भारत में बिजनस करना आसान बनाने के लिए लंबी अवधि के बड़े रिफॉर्म्स को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता की जानकारी देना मोदी के अजेंडे का अहम हिस्सा होगा। एक अधिकारी ने कहा, ‘इससे पता चलता है कि केंद्र सरकार विदेशी निवेशकों के लिए माहौल बेहतर बनाने के मकसद से बड़े फैसले ले सकती है।’
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इसके साथ ही उनका कहना था कि ये उपाय राजनीतिक स्थिरता के माहौल में किए जा रहे हैं, जिससे चीन जैसे बड़े देशों के साथ तुलना करने पर भारत की मजबूत साख दिखती है। पश्चिमी देशों में GST को लेकर काफी उत्सुकता है। इसे रिफॉर्म्स को लेकर भारत सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति के बड़े संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। मोदी अपने दौरे की शुरुआत 29 मई से 3 जून के बीच जर्मनी, स्पेन और रूस की यात्रा से करेंगे। उनका जून के अंतिम सप्ताह में अमेरिका जाने का कार्यक्रम है, जहां वह अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ अपनी पहली मीटिंग करेंगे। वह जुलाई में जी-20 समिट के लिए जर्मनी लौटेंगे।
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यूरोप में बड़ी आर्थिक शक्ति माने जाने वाले जर्मनी के साथ भारत अपने संबंध मजबूत करना चाहता है। स्पेन में मोदी डिफेंस सेक्टर में टेक्नोलॉजी पार्टनरशिप कर सकते हैं। रूस में मोदी सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकनॉमिक फोरम (SPIEF) में गेस्ट ऑफ ऑनर होंगे। रूस की अगुवाई वाले इस फोरम में मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 5,000 से अधिक प्रभावशाली राजनीतिक नेताओं, अर्थशास्त्रियों और कारोबारी जगत की हस्तियों को संबोधित करेंगे।
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सूत्रों ने बताया कि मोदी की अमेरिका यात्रा का मकसद ट्रंप के साथ पहचान बढ़ाने का है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मोदी के बहुत अच्छे संबंध थे। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से दोनों नेताओं के बीच कई मुलाकातें हुई थी। दोनों देशों ने बहुत से क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए कई समझौते भी किए थे। जर्मनी के हैम्बर्ग में होने वाले जी-20 समिट को ग्लोबल ट्रेड के लिए काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। सरकार को उम्मीद है कि इस समिट से पहले मोदी की अमेरिका, जर्मनी और रूस यात्रा से भारत को समिट में अपना नजरिया बेहतर तरीके से पेश करने में मदद मिलेगी। समिट में ग्लोबल ट्रेड से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण फैसले लिए जा सकते हैं।
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